- दिल्ली विधानसभा को आधुनिक तकनीकी से लैस बनाने और विधानसभा इमारत को स्मारक बनाने पर केंद्रित रही चर्चा
- विजेंद्र गुप्ता और ओम बिड़ला ने दिल्ली विधान सभा को राष्ट्रीय धरोहर में बदलने पर चर्चा की
नई दिल्ली,। 23 अप्रैल, 2025 । लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने दिल्ली विधानसभा के पुस्तकालय को डिजिटल बनाने और ई-लाइब्रेरी के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए। दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने आज संसद सचिवालय में लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिड़ला से मुलाकात की। विधानसभा अध्यक्ष और लोकसभा अध्यक्ष की यह मुलाकात दिल्ली की विधायी विरासत के संरक्षण और आधुनिकीकरण पर संसद और विधानसभा के बीच सहयोग को लेकर हुई। यह बैठक दिल्ली विधान सभा के संस्थागत ढांचे को मजबूत करने, इसके बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने और इसके कार्यों में डिजिटलाइजेशन तथा पारदर्शिता को बढ़ावा देने के प्रयासों पर केंद्रित थी।
40 मिनट की विस्तृत बैठक के दौरान, गुप्ता ने लोकसभा अध्यक्ष को दिल्ली विधान सभा में चल रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी जिसमें विधानसभा के ऐतिहासिक परिसर को राष्ट्रीय धरोहर के रूप में स्थापित करने के प्रयासों पर विशेष बल दिया। दिल्ली विधानसभा को राष्ट्रीय धरोहर के रूप में विकसित करने की पहल दिल्ली की समृद्ध लोकतांत्रिक विरासत का उत्सव मनाने के साथ-साथ इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए सुलभ और प्रासंगिक बनाए रखने का लक्ष्य रखती है।
लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिड़ला ने दिल्ली विधान सभा की पुस्तकालय को पूर्णतः डिजिटल बनाने और ई-लाइब्रेरी में परिवर्तित करने की योजना को तुरंत शुरू करने के निर्देश दिए। इस परिवर्तन से विधायी दस्तावेजों तक जनता की पहुंच सुलभ होगी और संस्थागत ज्ञान के संरक्षण को सुनिश्चित किया जाएगा।
ओम बिड़ला ने दिल्ली विधानसभा के इन प्रयासों की सराहना की । ओम बिड़ला ने संसद सचिवालय को दिल्ली विधान सभा के प्रयासों में हर संभव सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए।
गुप्ता ने यह भी बताया कि दिल्ली विधानसभा सचिवालय के सभी अभिलेख और कार्यवाही, इसकी स्थापना से लेकर अब तक, दिल्ली नगर निगम के ऐतिहासिक टाउन हॉल में व्यवस्थित रूप से संरक्षित हैं। इस अभिलेखीय कार्य के महत्व को समझते हुए, श्री बिड़ला ने इन अभिलेखों को डिजिटलीकरण परियोजना में शामिल करने के निर्देश दिए, जो भारत के विधायी इतिहास की सुरक्षा के महत्व को रेखांकित करता है।
यह उच्च स्तरीय बैठक भारत में केंद्रीय और राज्य विधायी निकायों के बीच एक महत्वपूर्ण सहयोग को दर्शाती है, जो विरासत संरक्षण को तकनीकी विकास के साथ जोड़ने का काम करती है।