- संस्कृत सम्भाषण शिविर अभियान एक ऐतिहासिक सांस्कृतिक पहल
नई दिल्ली । 16 अप्रैल 2025। संस्कृत केवल एक भाषा नहीं है, यह भारतीय सभ्यता की आत्मा है—जो हमारी संस्कृति, परंपरा और सनातन ज्ञान को अपने भीतर समेटे हुए है। इसी विरासत से जन-जन को पुनः जोड़ने और संस्कृत को एक जीवंत, बोली जाने वाली भाषा के रूप में पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से संस्कृत भारती, संस्कृत अकादमी दिल्ली के सहयोग से एक ऐतिहासिक पहल प्रारंभ कर रही है: संस्कृत सम्भाषण शिविर अभियान, जो 23 अप्रैल से 3 मई 2025 तक पूरे दिल्ली में आयोजित किया जाएगा।
यह कोई साधारण कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण है। इस अभियान के अंतर्गत, दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में एक साथ 1008 संस्कृत सम्भाषण शिविरों का आयोजन किया जाएगा, जिससे लाखों लोगों को संस्कृत से प्रत्यक्ष जुड़ने का अवसर मिलेगा।
ये सभी शिविर नि:शुल्क होंगे और इनका आयोजन विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, शैक्षणिक संस्थानों तथा सामुदायिक स्थलों जैसे कि आरडब्ल्यूए, आश्रम, धर्मशाला, आर्य समाज मंदिर, सनातन धर्म मंदिर, गुरुकुल आदि में किया जाएगा।
शिविर की विशेषताएँ:
हर प्रतिभागी को 20 घंटे का सम्भाषण प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा—प्रत्येक दिन 2 घंटे की कक्षा, कुल 10 दिनों तक। यह शिविर हर आयु वर्ग, सामाजिक पृष्ठभूमि और शैक्षिक योग्यता वाले लोगों के लिए खुले हैं। यह केवल भाषा सिखाने का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि भारतीय जीवन मूल्यों, नैतिकता, पारिवारिक संरचना और सामाजिक सिद्धांतों की शिक्षा भी संस्कृत के माध्यम से दी जाएगी।
समापन समारोह – 4 मई 2025:
यह महाअभियान एक भव्य समापन समारोह के साथ समाप्त होगा, जिसका आयोजन दिल्ली विश्वविद्यालय के सभागार में किया जाएगा। इस ऐतिहासिक आयोजन में भारत के माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह मुख्य अतिथि के रूप में पधारेंगे, साथ ही अनेक गणमान्य अतिथि भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे। यह समापन समारोह केवल एक समापन नहीं, बल्कि एक संस्कृत महोत्सव और भारतीय सांस्कृतिक चेतना का उत्सव होगा।
आज आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी, दिल्ली सरकार मे कैबिनेट मंत्री कपिल मिश्रा, संस्कृत भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्
जयप्रकाश गौतम, तथा दिल्ली प्रांत अध्यक्ष डॉ. वागीश भट्ट ने इस अभियान का समर्थन किया और अपने विचार साझा किए।
मनोज तिवारी ने कहा: “अब तक हमने ‘अंग्रेज़ी सीखो’ जैसे अभियान देखे हैं, लेकिन यह पहली बार है जब हम इतने भव्य रूप में ‘संस्कृत सीखो’ अभियान देख रहे हैं। संस्कृत संस्कृति से जुड़ने का माध्यम है—यह कठिन नहीं, बल्कि प्राचीन होते हुए भी आधुनिक है।” उन्होंने कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं है, यह भारतीय सभ्यता की आत्मा है ”
कपिल मिश्रा ने कहा: “दिल्ली सरकार के लिए यह सौभाग्य की बात है कि वह संस्कृत भारती के इस पुण्य प्रयास में सहभागी बन रही है। मैं दिल्ली के सभी नागरिकों से अपील करता हूँ कि इस ऐतिहासिक सांस्कृतिक अभियान में भाग लें। यह केवल भाषा सीखने का अवसर नहीं है, बल्कि अपनी जड़ों से जुड़ने का अद्वितीय अवसर है।”
संस्कृत भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री जयप्रकाश गौतम ने कहा: “संस्कृत सरलम् अपि च सर्वेषां। संस्कृत जनभाषा बने। यह हर भारतीय भाषा की जननी है। यह कम्प्यूटर-युक्त भी है, और भारत की प्रतिष्ठा के लिए संस्कृत और संस्कृति दोनों की पुनर्स्थापना आवश्यक है।”
दिल्ली प्रांत अध्यक्ष डॉ. वागीश भट्ट ने कहा: “प्राचीन काल से स्पेन में स्पेनी बोली जाती है, चीन में चीनी बोली जाती है—तो भारत में संस्कृत क्यों नहीं? आइए हम सब संकल्प लें कि संस्कृत को अपनी मातृभाषा बनाएं।”
संस्कृत सम्भाषण शिविर अभियान एक जनजागरण है, जिसका उद्देश्य संस्कृत को जन-जन तक पहुंचाकर भारत की आत्मा को पुनः जाग्रत करना है।