गुरु तेग बहादुर मेमोरियल की पिछली सरकार की उपेक्षा के कारण दयनीय स्थिति हो गई है – मनजिंदर सिंह सिरसा

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  •  यह अनजाने में हुई अनदेखी नहीं, बल्कि सिख भावनाओं का जानबूझकर किया गया अपमान है,
  • बैनरों और पीआर पर खर्च किए गए करोड़ों रुपये, जबकि इस पवित्र सिख स्थल के संरक्षण पर एक रुपया भी खर्च नहीं किया
  • मनजिंदर सिंह सिरसा और कपिल मिश्रा ने गुरु तेग बहादुर मेमोरियल को एक समृद्ध पर्यटन और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित करने का संकल्प लिया

नई दिल्ली, 8 अप्रैल 2025। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में दिल्ली सरकार लगातार राजधानी की सांस्कृतिक विरासत को संजोने और पर्यावरण की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए जमीनी स्तर पर काम कर रही है। इसी दिशा में माननीय पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने दिल्ली के कुछ महत्वपूर्ण स्थलों का ग्राउंड लेवल इंस्पेक्शन किया, जिनमें गुरु तेग बहादुर मेमोरियल, महात्मा गांधी इंस्टिट्यूट फॉर कॉम्बैटिंग क्लाइमेट चेंज और भलस्वा लैंडफिल के पास NH-1 शामिल हैं।

“यह दौरा तीन प्रमुख लोकेशन्स पर केंद्रित रहा — सिंघु बॉर्डर पर स्थित गुरु तेग बहादुर मेमोरियल, गांव बकौली में स्थित महात्मा गांधी इंस्टिट्यूट फॉर कॉम्बैटिंग क्लाइमेट चेंज (MGICCC), और भलस्वा लैंडफिल के पास NH-1 का महत्वपूर्ण रोड स्ट्रेच, जो दिल्ली के इंटरस्टेट कनेक्टिविटी के लिए बेहद अहम है।”

पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा और कला, संस्कृति व पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा ने सिंघु बॉर्डर स्थित गुरु तेग बहादुर मेमोरियल का दौरा किया और वहां की वर्तमान स्थित का जायजा लिया। जैसा की यह मेमोरियल 11.87 एकड़ में फैला है और सिख धर्म के नौवें गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर जी की महान शहादत को समर्पित है। इस कंप्लेक्स में 24 मीटर ऊंचा एक सेंट्रल पायलन है, एवं इसके दोनों ओर तीन ‘C’ शेप की आर्चेस हैं, वहीं परिसर में स्थापित दस मोनोलिथ पर दसों सिख गुरुओं की शिक्षाएं अंकित की गई हैं।

सिरसा ने कहा “आज गुरु तेग बहादुर मेमोरियल की दयनीय स्थिति देखकर मेरा मन अत्यंत व्यथित और क्षुब्ध है। ‘हिंद दी चादर’ श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी को समर्पित यह पवित्र स्थल आज टूटा-बिखरा, उपेक्षित और भुलाया हुआ नजर आता है। जो स्थान गौरव और श्रद्धा का प्रतीक होना चाहिए था, वह आज पिछली सरकार की उपेक्षा के कारण दयनीय स्थिति में पहुंच गया है। आप सरकार ने अपने प्रचार और पीआर की नौटंकियों पर करोड़ों रुपये खर्च किए, लेकिन इस आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए एक रुपया भी खर्च नहीं किया। यह मात्र लापरवाही नहीं है – यह सिख भावनाओं का जानबूझकर किया गया अपमान है। अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी ने बार-बार सिख भावनाओं का सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया है, लेकिन इस पवित्र मेमोरियल के संरक्षण के लिए कभी कोई ठोस प्रयास नहीं किया। अब समय है कि देश इस सच्चाई को देखे और समझे,”

मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि एक समय यहां का लाइट एंड साउंड शो इस मेमोरियल की खास पहचान हुआ करता था, लेकिन अफसोस की बात है कि यह कई वर्षों से बंद पड़ा है। साथ ही, पूरे परिसर की लाइटिंग व्यवस्था भी पूरी तरह से निष्क्रिय है, जिससे यहाँ की भव्यता प्रभावित हो रही हैं और यहाँ पर्यटकों का आवागमन भी ना के बराबर है।

उन्होंने आगे कहा, “हम इस मेमोरियल को इस प्रकार विकसित करना चाहते हैं, जिससे पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश जैसे नजदीकी राज्यों से आने वाले टूरिस्ट व दर्शनार्थी यहां रुकें, इस स्थान को देखें, गुरु तेग बहादुर जी के त्याग, बलिदान और सिख परंपरा के गौरव को समझें। यह मेमोरियल नेशनल हाईवे के किनारे स्थित है, जिससे लोगों को यहां तक पहुंचना बेहद आसान होगा।”

पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा, “यह जगह एक कल्चरल और स्पिरिचुअल सेंटर बननी चाहिए। हम यहां लेज़र शो, कल्चरल परफॉर्मेंस, हेरिटेज टूर और विज़िटर की सुविधा को अपग्रेड करने जैसे कई पहल की शुरुआत करेंगे, ताकि यह एक प्रमुख धार्मिक और टूरिस्ट डेस्टिनेशन बने।” पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा ने आगे कहा की इस मेमोरियल के रखरखाव में किसी प्रकार की कमी नहीं होगी। दिली सरकार गुरु तेगबहादुर मेमोरियल को इस प्रकार विकसित करेगी की दिल्ली के लोग गर्वान्वित महसूस करेंगे।

इसके बाद पर्यावरण मंत्री श्री मनजिंदर सिंह सिरसा गांव बकौली स्थित 17 एकड़ के कैंपस, वन विभाग के क्षेत्र में स्थित, महात्मा गांधी इंस्टिट्यूट फॉर कॉम्बैटिंग क्लाइमेट चेंज (MGICCC) पहुंचे। इस दौरान उनके साथ बादली के विधायक श्री दीपक चौधरी और विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे एवं मंत्री को वहां मौजूद अधिकारीयों ने संस्थान में किए जा रहे ग्रीन टेक्नोलॉजी इनोवेशन, ट्रेनिंग प्रोग्राम्स और क्लाइमेट रेज़िलिएंट इनिशिएटिव्स के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।

” मंत्री जी ने हॉस्टल ब्लॉक्स, लाइब्रेरी और मीटिंग हॉल का निरीक्षण किया। इंस्टिट्यूट का हेक्सागोनल स्ट्रक्चर गर्मियों में नेचुरल कूलिंग देने के लिए जाना जाता है, लेकिन फिलहाल इसके कई हिस्से जर्जर हालत में हैं। प्रवेश द्वार का साइनबोर्ड तक पूरी तरह मिट चुका है।”

“पिछली सरकार न तो गांधी जी का नाम बचा पाई और न ही उनके आदर्शों को। यह संस्थान उनके नाम पर है, लेकिन हालात ऐसे हैं कि प्रवेश द्वार का साइनबोर्ड तक मिट चुका है। परिसर की स्थिति देखकर लगता है मानो इसे पूरी तरह भुला दिया गया हो,” – माननीय मंत्री श्री मनजिंदर सिंह सिरसा
मंत्री ने इंस्टिट्यूट के कार्यों की सराहना की और जल्द ही इसके ट्रांसफॉर्मेशन के लिए बजट सपोर्ट देने का आश्वासन भी दिया। ज्ञात हो की इंस्टिट्यूट में अब तक 55 ट्रेनिंग सेशन और 2 स्पेशल प्रोग्राम्स आयोजित कर चुका है, जिनसे 4,308 प्रतिभागी लाभान्वित हुए हैं। साथ ही, उन्होंने वन विभाग को आगामी मानसून सीज़न में बड़े स्तर पर ट्री प्लांटेशन ड्राइव चलाने की योजना का भी ज़िक्र किया।

दिल्ली सरकार के मंत्रियों द्वारा लगातार किए जा रहे निरीक्षण और ज़मीनी स्तर पर काम गुड गवर्नेंस का प्रतीक हैं — जहां सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण, पर्यावरण की सुरक्षा और सार्वजनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का सुधार, ये सभी काम न केवल प्राथमिकता में हैं, बल्कि राजधानी के सर्वांगीण विकास की दिशा में ठोस कदम भी हैं। इसके साथ ही सरकार द्वारा किये जा रहे सभी कार्य भावी पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ, सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और सुव्यवस्थित राजधानी के निर्माण की दिशा में दिल्ली सरकार की दूरदर्शिता और प्रतिबद्धता का स्पष्ट प्रमाण हैं।

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