वाशिंगटन ,26 मार्च। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को चुनावी प्रकिया में बदलाव से जुड़े एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन किए। इसके तहत अमेरिकी नागरिकों को वोटर रजिस्ट्रेशन के लिए नागरिकता का प्रमाण देना होगा।
ट्रम्प प्रशासन के अधिकारियों के मुताबिक इसका मकसद वोटर लिस्ट में अवैध रूप से शामिल अप्रवासियों पर नकेल कसना है। अभी अमेरिका के कई राज्यों में वोटर रजिस्ट्रेशन के लिए पासपोर्ट या बर्थ सर्टिफिकेट दिखाने की जरूरत नहीं पड़ती है।
ट्रम्प ने 2020 के चुनाव में अपनी हार के पीछे फर्जी मतदान को वजह बताया था। हालांकि, ट्रम्प के इस आदेश को राज्यों ने कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर ली है।
आदेश में ट्रम्प ने कहा कि भारत और ब्राजील के मतदाता किसी भी व्यक्ति की पहचान को बायोमीट्रिक डेटाबेस से जोड़ रहे हैं, जबकि अमेरिका में नागरिक इसके लिए काफी हद तक सेल्फ अटेस्ट करने पर निर्भर हैं।
मिशिगन में बिना आईडी दिखाए दे सकते हैं वोट
अमेरिका में वोटिंग को लेकर कोई एक जैसे नियम नहीं है। हर राज्य के अपने अलग कानून हैं। टेक्सास, जॉर्जिया और इंडियाना जैसे राज्यों में वोटिंग की प्रक्रिया बेहद सख्त है। यहां पर वोट डालने के लिए फोटो आईडी (जैसे ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट) दिखाना जरूरी है।
वहीं, कैलिफोर्निया, न्यूयॉर्क और इलिनॉय जैसे राज्यों में वोटिंग को लेकर उतने सख्त नहीं हैं। इन राज्यों में नाम और पता बताकर या फिर कोई दस्तावेज जैसे कि बिजली का बिल दिखाकर वोटिंग की जा सकती है।
वोटिंग से जुड़े एग्जीक्यूटिव ऑर्डर की 4 अहम बातें
- नागरिकता साबित करने की जरूरत: वोटिंग के लिए नागरिकता का सबूत, जैसे पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस देना जरूरी होगा।
- राज्यों से सहयोग की अपील: ऑर्डर में राज्यों को सहयोग करने, वोटर लिस्ट को संघीय सरकार के साथ शेयर करने और चुनाव से जुड़े अपराधों की जांच में मदद की अपील की गई है।
- मेल-इन बैलट की समय सीमा: चुनाव खत्म होने के बाद मिलने वाले मेल-इन बैलट को अवैध माना जाएगा।
- नियम ना मानने पर फंडिंग में कटौती: ऑर्डर में साफ-साफ कहा गया है कि अगर कोई राज्य इन नए नियमों का पालन नहीं करता तो उनको दी जाने वाली फंडिंग मदद में कटौती की जा सकती है।