नई दिल्ली,26 मार्च। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें HC ने कहा था कि नाबालिग लड़की के ब्रेस्ट पकड़ना और उसके पायजामे के नाड़े को तोड़ना रेप या अटेम्प्ट टु रेप नहीं है।
जस्टिस बीआर गवई और एजी मसीह की बेंच ने बुधवार को इस केस पर सुनवाई की। बेंच ने कहा, “हाईकोर्ट के ऑर्डर में की गई कुछ टिप्पणियां पूरी तरह असंवेदनशील और अमानवीय नजरिया दिखाती हैं।” सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
मामला क्या है?
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 17 मार्च 2025 को एक आदेश में कहा था कि केवल स्तन पकड़ना और पायजामा की डोरी खींचना बलात्कार का अपराध नहीं माना जा सकता, बल्कि यह किसी महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से किए गए हमले या आपराधिक बल प्रयोग के अंतर्गत आता है।
सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने इस टिप्पणी पर स्वतः संज्ञान लेते हुए कहा कि हाईकोर्ट की यह टिप्पणी पूरी तरह से असंवेदनशील और अमानवीय है। अदालत ने यह भी कहा कि इस प्रकार की व्याख्या समाज के लिए खतरनाक उदाहरण स्थापित कर सकती है।
सामाजिक प्रतिक्रिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट की इस टिप्पणी के बाद समाज में व्यापक आक्रोश देखा गया। कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस पर आपत्ति जताई और सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की।
सुप्रीम कोर्ट का यह कदम न्यायपालिका में संवेदनशीलता और महिला अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह निर्णय समाज में महिलाओं के प्रति हो रहे अपराधों के प्रति गंभीरता को दर्शाता है और न्याय प्रणाली में विश्वास को मजबूत करता है।