नई दिल्ली,11 सितम्बर। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए अलग-अलग रणनीतियों के साथ आगे बढ़ रही है। इन दोनों राज्यों की राजनीतिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक परिस्थितियाँ भिन्न होने के कारण, बीजेपी की रणनीति भी राज्यों की जरूरतों के अनुसार बनाई गई है।
हरियाणा में ‘फैमिली कार्ड’ से किनारा
हरियाणा में बीजेपी ने टिकट बंटवारे के दौरान ‘फैमिली कार्ड’ से किनारा करने का निर्णय लिया है। पार्टी ने तय किया है कि चुनावों में उम्मीदवारों का चयन योग्यता, जनाधार, और क्षेत्रीय संतुलन के आधार पर किया जाएगा, न कि पारिवारिक संबंधों के आधार पर। इसका उद्देश्य यह है कि नए और काबिल नेताओं को मौका मिले, और वंशवाद की राजनीति से दूरी बनाई जाए।
बीजेपी का मानना है कि हरियाणा में यह कदम जनता के बीच अच्छा संदेश देगा, क्योंकि प्रदेश में पहले से ही वंशवादी राजनीति का असर देखा गया है। पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखने के साथ-साथ युवा और अनुभवी नेताओं के बीच तालमेल बिठाकर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है।
जम्मू-कश्मीर में अलग समीकरण
जम्मू-कश्मीर में स्थिति थोड़ी अलग है, क्योंकि यहाँ सुरक्षा, विकास, और धारा 370 हटाए जाने के बाद के राजनीतिक समीकरण अहम भूमिका निभाते हैं। बीजेपी यहां पर अपने राष्ट्रवाद के एजेंडे को जोर-शोर से उठाने की योजना बना रही है।
धारा 370 हटाने के बाद बीजेपी की छवि यहां राष्ट्रवादी पार्टी के रूप में मजबूत हुई है, और पार्टी इसे चुनाव प्रचार में भुनाने की कोशिश करेगी। पार्टी का जोर मुख्य रूप से सुरक्षा, विकास और स्थायित्व पर रहेगा, और स्थानीय मुद्दों के साथ-साथ राष्ट्रीय मुद्दों को भी चुनावी रणनीति में शामिल किया जाएगा।
बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर में स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को अधिक जिम्मेदारी देने का फैसला किया है। साथ ही, पार्टी यहाँ गठबंधन की संभावना पर भी विचार कर सकती है, ताकि स्थानीय समीकरणों को साधा जा सके।
दोनों राज्यों के लिए अलग-अलग चुनौतियाँ
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर की परिस्थितियाँ काफी भिन्न हैं, इसलिए बीजेपी की रणनीति भी अलग-अलग है। हरियाणा में पार्टी को जाट राजनीति और क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने की चुनौती है, जबकि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा, धारा 370 के प्रभाव, और स्थानीय नेतृत्व को साधने की जरूरत है।
बीजेपी की हरियाणा में चुनौती यह होगी कि वह पारिवारिक राजनीति से परे जाकर जनता का विश्वास कैसे जीतती है, जबकि जम्मू-कश्मीर में उसे राष्ट्रीय और स्थानीय मुद्दों के बीच संतुलन बनाकर जनता को आकर्षित करना होगा।
निष्कर्ष
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी की रणनीतियाँ पूरी तरह से राज्यों की राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों पर आधारित हैं। जहां हरियाणा में पार्टी ने वंशवादी राजनीति से दूरी बनाने का निर्णय लिया है, वहीं जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय मुद्दों को चुनावी एजेंडे में शामिल किया गया है। दोनों राज्यों में बीजेपी की अलग-अलग रणनीतियाँ यह दिखाती हैं कि पार्टी विभिन्न चुनौतियों को समझते हुए चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार है।