नई दिल्ली,4 मार्च। कहा – सदन में मर्यादा का पालन सभी सदस्यों की जिम्मेदारी
नई दिल्ली I 3 मार्च 25 I Iमाननीय अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने विधानसभा को संबोधित करते हुए सदन में शांति और अनुशासन बनाए रखने की अनिवार्यता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सदन की गरिमा को बनाए रखने और विधायी कार्यवाही को निर्बाध रूप से संचालित करने के लिए अध्यक्ष को आवश्यक कदम उठाने का अधिकार है।
श्री विजेंद्र गुप्ता ने रूल 277 का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि यदि कोई सदस्य अशोभनीय या अनुशासनहीन आचरण करता है, तो अध्यक्ष उसे सदन से हटने का निर्देश दे सकते हैं। ऐसे मामलों में संबंधित सदस्य को तत्काल सदन छोड़ना होगा और उस दिन की शेष कार्यवाही में भाग लेने से वंचित रहना होगा।
इसके अतिरिक्त, अध्यक्ष विशेष परिस्थितियों में किसी सदस्य का नाम लेने का अधिकार रखते हैं, जैसे:
* अध्यक्ष के निर्देशों का पालन न करना।
* पूर्व में की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रभावी न होना।
* सदन की कार्यवाही को बार-बार बाधित करना।
* एक ही सत्र में बार-बार अनुशासनहीन व्यवहार करना।
यदि किसी सदस्य का नाम लिया जाता है, तो सदन में निलंबन प्रस्ताव प्रस्तुत किया जा सकता है, जिसे सदन के नेता, संसदीय कार्य मंत्री, या उनके अभाव में कोई अन्य सदस्य पेश कर सकता है। निलंबन की अवधि निम्नानुसार होगी:
* पहली बार – तीन बैठकों के लिए।
* दूसरी बार – सात बैठकों के लिए।
* तीसरी या अधिक बार – शेष सत्र के लिए (जब तक सदन अन्यथा न निर्णय ले)।
निलंबित सदस्य को तुरंत सदन के परिसर से बाहर जाना होगा। यदि वह इसका उल्लंघन करता है, तो बिना किसी अतिरिक्त प्रक्रिया के पूरे सत्र के लिए निलंबन बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा, निलंबित सदस्य को सदन परिसर में प्रवेश करने और किसी भी विधायी या समिति की बैठक में भाग लेने की अनुमति नहीं होगी।
माननीय अध्यक्ष श्री विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि ये प्रावधान सदन की गरिमा बनाए रखने और विधायी कार्यों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए आवश्यक हैं। उन्होंने सभी सदस्यों से मर्यादा का पालन करने और जनहित एवं सुशासन के लिए रचनात्मक संवाद में भाग लेने का आह्वान किया।