चण्डीगढ़,22 फरवरी। हरियाणा सरकार ने सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों पर नकेल कसने के लिए कड़ा कदम उठाया है। नए नियम के तहत, यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी भ्रष्टाचार या कर्तव्य में लापरवाही का दोषी पाया जाता है, तो उसे 50 साल की उम्र में ही सेवानिवृत्त कर दिया जाएगा। सरकार का यह फैसला पारदर्शिता और सुशासन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है।
कैसे लागू होगा नया नियम?
हरियाणा सरकार ने स्पष्ट किया है कि सभी सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के प्रदर्शन की नियमित समीक्षा की जाएगी। यदि किसी कर्मचारी पर भ्रष्टाचार, अनियमितता, लापरवाही, या अक्षमता के आरोप सिद्ध होते हैं, तो उसे 50 वर्ष की उम्र में अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा सकती है। यह निर्णय उनकी सेवा रिकॉर्ड और कार्यशैली के आधार पर लिया जाएगा।
भ्रष्टाचार पर सख्ती की वजह
सरकार का मानना है कि प्रशासन में पारदर्शिता बनाए रखना जरूरी है। कई बार ऐसे अधिकारी और कर्मचारी सेवा में बने रहते हैं, जिन पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप होते हैं, जिससे सरकारी कामकाज प्रभावित होता है। इस नियम के लागू होने से सरकारी महकमों में जवाबदेही बढ़ेगी और ईमानदार अधिकारियों को बढ़ावा मिलेगा।
अधिकारियों और कर्मचारियों की प्रतिक्रिया
इस नियम को लेकर सरकारी कर्मचारियों में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ लोग इसे प्रशासनिक सुधार के लिए जरूरी कदम मान रहे हैं, जबकि कुछ का कहना है कि इसका गलत इस्तेमाल भी हो सकता है।
भविष्य में क्या बदलाव संभव?
हरियाणा सरकार ने यह भी कहा है कि यह नियम प्रशासनिक सुधारों का हिस्सा है और भविष्य में इसे और प्रभावी बनाने के लिए जरूरी बदलाव किए जा सकते हैं। सरकार का उद्देश्य बेहतर और ईमानदार शासन प्रणाली स्थापित करना है, जिससे राज्य के विकास को गति मिले।
यह नियम उन भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए एक कड़ा संदेश है जो अपने पद का दुरुपयोग करते हैं। अब देखना होगा कि इस कदम का सरकारी तंत्र पर क्या असर पड़ता है।