नई दिल्ली,17 फरवरी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ () के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार, 16 फरवरी 2025 को पश्चिम बंगाल के बर्धमान में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि संघ का मुख्य उद्देश्य पूरे हिंदू समाज को एकजुट करना है। उन्होंने कहा, “संघ हिंदू समाज को संगठित करना चाहता है, क्योंकि यह देश का जिम्मेदार समाज है।” भागवत ने विविधता में एकता के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि हिंदू समाज विविधताओं को स्वीकार करके ही फलता-फूलता है। उन्होंने कहा, “हम कहते हैं ‘विविधता में एकता’, लेकिन हिंदू समाज का मानना है कि विविधता ही एकता है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत केवल एक भूगोलिक क्षेत्र नहीं है, बल्कि इसकी एक विशिष्ट प्रकृति है। जो लोग इस प्रकृति के साथ नहीं रह सके, उन्होंने अलग देश बना लिया, लेकिन जो यहां रहे, उन्होंने भारत के मूल तत्व को अपनाया।
भागवत ने हिंदू समाज के भीतर एकता की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि समस्याओं की प्रकृति से अधिक महत्वपूर्ण यह है कि हम उनका सामना करने के लिए कितने तैयार हैं। उन्होंने कहा, “हमें हिंदू समाज को एकजुट और संगठित करने की जरूरत है।”
भागवत के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में विभिन्न प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कई नेताओं ने इसे सामाजिक एकता के लिए महत्वपूर्ण बताया है, जबकि कुछ ने इसे विभाजनकारी राजनीति का हिस्सा कहा है।