नई दिल्ली,14 फरवरी। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व आईएएस प्रशिक्षु पूजा खेडकर की गिरफ्तारी पर लगी अंतरिम रोक की अवधि बढ़ाकर 17 मार्च 2025 तक कर दी है। पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने 2022 की संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा में ओबीसी और दिव्यांग कोटे का अनुचित लाभ उठाने के लिए फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किए थे।
अदालत का फैसला
सोमवार को न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने खेडकर की याचिका पर सुनवाई करते हुए गिरफ्तारी से राहत को जारी रखा। साथ ही, अदालत ने उन्हें जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया। केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया और अगली सुनवाई 17 मार्च को तय की।
क्या हैं आरोप?
पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में चयन के लिए ओबीसी और विकलांगता प्रमाणपत्र का दुरुपयोग किया। जांच में यह सामने आया कि उनके पास आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) और दिव्यांगता से जुड़ा कोई वैध प्रमाणपत्र नहीं था। इसके बावजूद, उन्होंने इन कोटाओं का लाभ उठाते हुए परीक्षा पास करने की कोशिश की।
दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की थी अग्रिम जमानत याचिका
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि यह न केवल यूपीएससी जैसी संवैधानिक संस्था के साथ धोखाधड़ी का मामला है, बल्कि यह सामाजिक व्यवस्था को भी प्रभावित करता है। हाईकोर्ट के अनुसार, मामले में गहराई से जांच जरूरी है।
यूपीएससी ने दर्ज कराई थी शिकायत
संघ लोक सेवा आयोग ने पूजा खेडकर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके आधार पर दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और गलत जानकारी देने के आरोपों में एफआईआर दर्ज की थी।
आगे क्या?
अब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम राहत तो दी है, लेकिन साथ ही स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें जांच में पूरा सहयोग देना होगा। अदालत इस मामले की अगली सुनवाई 17 मार्च 2025 को करेगी, जिसमें आगे की कार्रवाई पर फैसला लिया जाएगा।