नई दिल्ली,13 फरवरी। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की नेतृत्व क्षमता और सरकार की नीतियों को लेकर हाल ही में कई विवाद सामने आए हैं, जो उनकी कुर्सी पर संकट के संकेत देते हैं। आइए, इन घटनाओं पर एक नजर डालते हैं:
आर्थिक संकट और बढ़ता कर्ज
पंजाब की आर्थिक स्थिति गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है। राज्य पर वर्तमान में लगभग ₹3.40 लाख करोड़ का कर्ज है, जो राज्य की कुल अर्थव्यवस्था का 50% से अधिक है। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब यह पता चलता है कि 2022 में सत्ता में आने के बाद आम आदमी पार्टी की सरकार ने लगभग ₹50,000 करोड़ का नया कर्ज लिया है। विपक्षी नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस रफ्तार से पंजाब अगले 10 साल में कंगाल हो जाएगा।
पार्टी पद से इस्तीफे की पेशकश
अक्टूबर 2024 में, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आम आदमी पार्टी के पंजाब संयोजक पद से इस्तीफा देने की इच्छा जताई, ताकि वे सरकार के कार्यों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकें। हालांकि, इस कदम को राजनीतिक हलकों में विभिन्न तरीकों से देखा गया, और इसे नेतृत्व में अस्थिरता के संकेत के रूप में भी माना गया।
स्वास्थ्य समस्याएं
सितंबर 2024 में, मुख्यमंत्री मान की तबीयत बिगड़ने के कारण उन्हें मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्हें ‘लेप्टोस्पायरोसिस’ नामक बीमारी से पीड़ित पाया गया। हालांकि, अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद उन्होंने तुरंत सरकारी कार्यों में सक्रियता दिखाई, लेकिन उनकी स्वास्थ्य समस्याओं ने उनकी कार्यक्षमता पर सवाल खड़े किए हैं।
किसान विरोध
मार्च 2024 में, पंजाब सरकार द्वारा 26 मार्केट कमेटियों को भंग करने के फैसले के खिलाफ किसानों ने अमृतसर में प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री का पुतला फूंका। किसानों ने इस निर्णय को अपने हितों के खिलाफ बताते हुए सरकार पर विश्वासघात का आरोप लगाया।
इन सभी घटनाओं के मद्देनजर, मुख्यमंत्री भगवंत मान की नेतृत्व क्षमता और उनकी कुर्सी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। हालांकि, उन्होंने इन चुनौतियों का सामना करते हुए सरकार के कार्यों में सक्रियता दिखाई है, लेकिन आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वे इन समस्याओं का समाधान कैसे करते हैं और अपनी सरकार की स्थिरता को कैसे बनाए रखते हैं।