नई दिल्ली,10 फरवरी। मणिपुर में 21 महीने से जारी जातीय हिंसा के बीच मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने आखिरकार इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे की अटकलें काफी समय से चल रही थीं, लेकिन आज गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के तुरंत बाद उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र सौंप दिया। इस फैसले से मणिपुर की राजनीति में बड़ा उलटफेर हो सकता है, और राज्य में सत्ता परिवर्तन की संभावना भी बढ़ गई है।
अमित शाह से मुलाकात के बाद आया फैसला
एन बीरेन सिंह ने सोमवार को दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की, जहां राज्य की बिगड़ती कानून-व्यवस्था और हिंसा की स्थिति पर चर्चा हुई। इस बैठक के कुछ घंटे बाद ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया। माना जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व ने मणिपुर में शांति बहाल करने और नई राजनीतिक रणनीति बनाने के लिए यह फैसला लिया है।
मणिपुर हिंसा: 21 महीने से जल रहा है राज्य
2023 में मणिपुर में कुकी और मेइतेई समुदायों के बीच जातीय संघर्ष शुरू हुआ था, जिसके बाद से लगातार हिंसा और अस्थिरता बनी हुई थी।
- इस संघर्ष में 200 से ज्यादा लोगों की जान चली गई और हजारों लोग बेघर हो गए।
- राज्य में इंटरनेट प्रतिबंध, कर्फ्यू और सुरक्षा बलों की तैनाती के बावजूद हालात पूरी तरह नियंत्रण में नहीं आ सके।
- विपक्षी दलों और कई सामाजिक संगठनों ने बीरेन सिंह सरकार की नाकामी पर सवाल उठाए थे और उन्हें हटाने की मांग की थी।
बीरेन सिंह के इस्तीफे के पीछे की वजहें
- हिंसा को रोकने में असफलता – लंबे समय से राज्य में शांति बहाल नहीं हो पाई थी, और सरकार पर कानून व्यवस्था बनाए रखने में विफल रहने का आरोप लग रहा था।
- केंद्र सरकार की सख्ती – माना जा रहा है कि केंद्र सरकार ने हालात को संभालने के लिए नई रणनीति अपनाने का फैसला किया और नेतृत्व परिवर्तन जरूरी समझा।
- आंतरिक राजनीतिक दबाव – बीजेपी के अंदर भी बीरेन सिंह के नेतृत्व को लेकर असंतोष था। कई विधायकों ने नई सरकार बनाने की मांग की थी।
अब क्या होगा?
- बीजेपी अब मणिपुर के लिए नए मुख्यमंत्री का चयन करेगी।
- नए नेता को राज्य में शांति बहाल करने और जनता का भरोसा वापस जीतने की बड़ी चुनौती होगी।
- विपक्षी दलों ने इस इस्तीफे को “जनता की जीत” बताया है और मणिपुर में नई सरकार के गठन की मांग की है।
निष्कर्ष
मणिपुर में लगभग दो साल तक जारी हिंसा के बाद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का इस्तीफा एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी राज्य में नया नेतृत्व किसे सौंपती है और क्या यह बदलाव मणिपुर में शांति बहाली की दिशा में कोई ठोस कदम साबित होगा या नहीं।