नई दिल्ली,7 सितम्बर। जेल में बंद संजय रॉय का पॉलीग्राफ टेस्ट हाल ही में सम्पन्न हुआ। यह टेस्ट 25 अगस्त रविवार को दोपहर लगभग 2 बजे शुरू किया गया था। जांच एजेंसी द्वारा आयोजित इस टेस्ट में संजय रॉय से कुल 10 सवाल पूछे गए, जो कि उनके कथनों और संभावित संलिप्तता की सत्यता को जानने के लिए थे।
पॉलीग्राफ टेस्ट का उद्देश्य
पॉलीग्राफ टेस्ट, जिसे आमतौर पर lie detector टेस्ट के रूप में जाना जाता है, का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति के जवाबों की सत्यता को जांचना होता है। यह टेस्ट व्यक्ति के शरीर की प्रतिक्रियाओं जैसे कि दिल की धड़कन, रक्तचाप और सांस लेने की दर के आधार पर होता है। संजय रॉय के मामले में, यह टेस्ट उनकी कथित गतिविधियों और अपराध के विवरण की सच्चाई को उजागर करने के लिए किया गया।
सवालों का क्रम और परीक्षण की प्रक्रिया
सूत्रों के अनुसार, संजय रॉय से पूछे गए 10 सवालों में उनकी संलिप्तता, भूमिका और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी शामिल थी। पॉलीग्राफ टेस्ट की प्रक्रिया के दौरान, ये सवाल संजय रॉय के द्वारा दिए गए उत्तरों की सत्यता को मापने के लिए तैयार किए गए थे।
टेस्ट की प्रक्रिया में, प्रत्येक सवाल का उत्तर देने के बाद संजय रॉय के शारीरिक प्रतिक्रियाओं को रिकॉर्ड किया गया। ये प्रतिक्रियाएं टेस्ट के परिणामों में अहम भूमिका निभाती हैं और एजेंसी को यह निर्णय लेने में मदद करती हैं कि व्यक्ति का उत्तर सच है या झूठ।
जेल में टेस्ट का आयोजन
जेल में पॉलीग्राफ टेस्ट का आयोजन सामान्य प्रक्रिया से थोड़ा अलग होता है। सुरक्षा कारणों और जेल प्रशासन की मंजूरी के साथ ही यह टेस्ट आयोजित किया गया। जेल में टेस्ट की निगरानी विशेष रूप से की जाती है ताकि कोई बाहरी प्रभाव या दखलअंदाजी न हो।
जांच एजेंसी की भूमिका
जांच एजेंसी ने इस टेस्ट के माध्यम से संजय रॉय के कथनों की पुष्टि करने का प्रयास किया है। एजेंसी के अधिकारी यह जांचना चाहते हैं कि क्या संजय रॉय के द्वारा दी गई जानकारी और उनके बयान में कोई विसंगति है या नहीं। इस प्रकार की जांचें अक्सर जटिल होती हैं और इसमें कई कारकों को ध्यान में रखना होता है।
संभावित परिणाम और आगे की कार्रवाई
पॉलीग्राफ टेस्ट के परिणाम जांच एजेंसी को यह समझने में मदद करेंगे कि संजय रॉय के बयान कितने सच्चे हैं और क्या उनकी संलिप्तता संदिग्ध है। टेस्ट के बाद, एजेंसी आगे की जांच और कार्रवाई की योजना बनाएगी, जिसमें सबूतों की समीक्षा, अन्य गवाहों के बयान और अन्य जांच शामिल हो सकती है।
इस टेस्ट के परिणामों के बाद यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि संजय रॉय के मामले में किस प्रकार की कार्रवाई की जाएगी और क्या नई जानकारियाँ सामने आती हैं।
निष्कर्ष
संजय रॉय का पॉलीग्राफ टेस्ट, जिसमें 25 अगस्त को कुल 10 सवाल पूछे गए, इस मामले की जांच में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह टेस्ट उनकी कथित संलिप्तता और बयान की सच्चाई को उजागर करने का प्रयास है। अब यह देखना होगा कि टेस्ट के परिणाम क्या दर्शाते हैं और इसके आधार पर अगली जांच और कार्रवाई कैसे आगे बढ़ेगी।