नई दिल्ली,03 फरवरी। मणिपुर हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब (CFSL) से सीलबंद लिफाफे में 6 हफ्ते में रिपोर्ट मांगी है। दरअसल, कुछ ऑडियो क्लिप सामने आए हैं, जिसमें मणिपुर के CM पर हिंसा करवाने का आरोप है।
कुकी ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट (KOHUR) ने इन ऑडियो क्लिप की कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की है। दावा है कि ऑडियो में CM कथित तौर पर कह रहे हैं कि उन्होंने मैतियों को हिंसा भड़काने की अनुमति दी और उन्हें बचाया।
याचिकाकर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण ने कहा- जो टेप सामने आए हैं, वे बहुत गंभीर हैं। इस पर CJI संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की बेंच ने मणिपुर सरकार से कहा कि सुनिश्चित करिए कि ये एक और मुद्दा न बने। 24 मार्च से शुरू होने वाले हफ्ते में इस पर सुनवाई होगी।
जस्टिस संजय कुमार ने सुनवाई से अलग होने का प्रस्ताव रखा
सुनवाई की शुरुआत में जस्टिस पीवी संजय कुमार ने पूछा कि क्या उन्हें सुनवाई से अलग हो जाना चाहिए। जवाब में याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा- न्यायमूर्ति कुमार को मामले से अलग होने की जरूरत नहीं है। दरअसल, जब जस्टिस संजय कुमार प्रमोशन के बाद सुप्रीम कोर्ट आए तो मणिपुर CM की डिनर पार्टी में वो शामिल हुए थे।
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने PTI को दिए इंटरव्यू में ऑडियो क्लीप मामले पर बयान दिया था।
बीरेन सरकार चुप रहने का दबाव बना रही
कुकी ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट (KOHUR) अध्यक्ष एचएस बेंजामिन मेट कुकी इंपी नाम के एक और ग्रुप के टॉप लीडर हैं। इसने मणिपुर से अलग प्रशासन बनाने के लिए सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (SOO) समझौते के तहत कुकी लीडर्स और उग्रवादियों की मांग का समर्थन किया था।