अमेरिका का F 35 लड़ाकू विमान अलास्का में क्रैश

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नई दिल्ली, 30 जनवरी: अमेरिका का एक एडवांस लड़ाकू विमान F35 मंगलवार को अलास्का में क्रैश हो गया है। विमान के पायलट ने पैराशूट की मदद से जान बचाई। हादसा अलास्का के एयेल्सन एयर फोर्स बेस पर प्रशिक्षण दौरान हुआ। हादसा भारतीय समयानुसार बुधवार सुबह 3 बजकर 19 मिनट (स्थानीय समयानुसार मंगलवार दोपहर 12 बजकर 49 मिनट) हुआ।

एयरफोर्स की 354वीं फाइटर विंग के कमांडर कर्नल पॉल टाउनसेंड ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि पायलट को उड़ान के दौरान विमान में गड़बड़ी का सामना करना पड़ा था। इसकी वजह से लैंडिंग के दौरान विमान हादसा हुआ।

हादसे के बाद पायलट सुरक्षित है। ये एक सिंगट सीटर लड़ाकू विमान था, जिसमें सिर्फ एक पायलट सवार था।

F-35 लड़ाकू विमान 5वीं पीढ़ी का विमान है। इसका निर्माण लॉकहेड मार्टिन ने किया है। इस प्लेन को 2006 से बनाना शुरू किया गया था। 2015 से यह अमेरिकी वायुसेना का एक अहम हिस्सा है।

भारत को भी यही फाइटर जेट्स देना चाहता है अमेरिका

  • फरवरी 2024 में बेंगलुरु में एयरो इंडिया शो हुआ था। इसमें दुनियाभर के विदेशी विमान शामिल हुए, लेकिन इनमें सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं थीं अमेरिका में बने F-35 फाइटर जेट ने। दरअसल, पहली बार अमेरिकी F-35 फाइटर भारत आए थे। एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत को रिझाने के लिए अमेरिका की ये एक कोशिश थी।
  • रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक- 27 साल के इतिहास में भारत के एयरो इंडिया शो के लिए अमेरिका ने अपने सबसे ज्यादा डेलिगेट्स भेजे थे। जिससे पता चलता है कि अमेरिका के लिए भारत कितना अहम होता जा रहा है।
  • रूसी एक्सपोर्टर रोसोबोरोना एक्सपोर्ट एयरो शो में सेंटर स्टेज पर रहता था। इस बार ये कम था। रिपोर्ट के मुताबिक- अमेरिका हथियारों की खरीद के मामले में भारत की रूस पर निर्भरता को खत्म करना चाहता है। इसी के चलते वो भारत को F-35 फाइटर जेट से रिझाने की कोशिश कर रहा है।
  • US आसानी से किसी देश को F-35 जेट नहीं देता है। वहीं जब अमेरिकी दूतावास में रियर एडमिरल माइकल एल बेकर से पूछा गया कि क्या वो ये फाइटर जेट भारत को ऑफर करेंगे? तो इस पर उन्होंने कहा कि भारत इन्हें खरीदने के विचार के शुरूआती स्टेज पर है।

बेहद महंगा है F-35 फाइटर जेट

  • अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन के इतिहास में सबसे महंगा विमान F-35 ही है। यह लड़ाकू विमान अब तक के सारे विमानों से आधुनिक और महंगा भी है। इसे बनाने का बजट अरबों रुपए था। 2013 में सरकार के अकाउंटेबिलिटी डिपार्टमेंट ने इसे जोखिमभरा फैसला बताया था।
  • पेंटागन को इस बात का अहसास भी है कि इस विमान को वह ज्यादा देशों को नहीं दे सका। शुरुआत से लेकर अब तक इस विमान पर 60 हजार अरब रुपए खर्च किए जा चुके हैं। अगर अमेरिकी वायुसेना इन विमानों का उपयोग करती है, तो इससे पेंटागन का ही खर्च बढ़ेगा। इसका रखरखाव भी मुश्किल है। इसके बावजूद 2015 के बजट में तब के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इसमें सुधार करने के लिए 80 हजार करोड़ रुपए अमेरिकी संसद से पारित करने की गुजारिश की थी।

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