मध्यप्रदेश ,24 जनवरी। मध्यप्रदेश सरकार राज्य की धार्मिक नगरीय पहचान को बनाए रखने और समाज में नैतिक मूल्यों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 17 प्रमुख धार्मिक नगरों में पूर्ण शराबबंदी लागू करने की योजना बना रही है। इस ऐतिहासिक निर्णय से इन धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनी रहेगी और श्रद्धालुओं को एक सकारात्मक माहौल मिलेगा।
किन शहरों में होगी पूर्ण शराबबंदी?
राज्य सरकार ने जिन 17 धार्मिक नगरों में शराब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है, वे निम्नलिखित हैं:
- मैहर – प्रसिद्ध माँ शारदा देवी मंदिर के लिए प्रसिद्ध
- चित्रकूट – भगवान राम की तपोभूमि
- उज्जैन – महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की नगरी
- अमरकंटक – नर्मदा नदी का उद्गम स्थल
- महेश्वर – ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व वाला क्षेत्र
- ओरछा – रामराजा मंदिर के लिए विख्यात
- ओंकारेश्वर – 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक
- मंडला – धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का क्षेत्र
- दतिया – पीतांबरा पीठ के लिए प्रसिद्ध
- जबलपुर – माँ नर्मदा के तट पर स्थित, भेड़ाघाट और कचनार शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध
- सलकनपुर – माँ विजयासन देवी धाम
- मंदसौर – पशुपतिनाथ मंदिर की नगरी
- मंडलेश्वर – ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थल
- बरमान – नर्मदा तट पर धार्मिक आयोजन स्थल
- पन्ना – भगवान श्री जगन्नाथ मंदिर और हीरा नगरी के रूप में प्रसिद्ध
सरकार की मंशा और संभावित लाभ
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में यह पहल धार्मिक स्थलों की गरिमा को बनाए रखने और वहां के सामाजिक वातावरण को सकारात्मक दिशा देने के लिए की जा रही है। सरकार इस फैसले को जल्द ही लागू करने की योजना बना रही है, ताकि ये पवित्र स्थल पूरी तरह से शराबमुक्त हो सकें।
शराबबंदी से संभावित लाभ:
- धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनी रहेगी।
- पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय व्यवसायों को लाभ होगा।
- सामाजिक वातावरण स्वस्थ रहेगा और अपराध दर में कमी आएगी।
- युवाओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और नशामुक्त समाज की दिशा में कदम बढ़ेगा।
आदेश जल्द होंगे जारी
राज्य सरकार जल्द ही इस निर्णय से संबंधित आधिकारिक आदेश जारी करेगी। प्रशासन को इस निर्णय को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए निर्देश दिए जाएंगे, ताकि धार्मिक स्थलों को शराब मुक्त बनाया जा सके।
यह कदम न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और नैतिक मूल्यों की रक्षा के लिए भी एक महत्वपूर्ण पहल है। मध्यप्रदेश सरकार का यह फैसला निश्चित रूप से राज्य के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा।