नई दिल्ली,15 जनवरी। सोशल मीडिया कंपनी META ने अपने CEO मार्क जुकरबर्ग के बयान पर माफी मांग ली है। जुकरबर्ग ने एक पॉडकास्ट में कहा था कि कोरोना के बाद दुनिया के कई देशों में मौजूदा सरकारें गिर गईं। भारत के लोकसभा चुनाव में भी मोदी सरकार हार गई। यह जनता का सरकारों में घटता भरोसा दिखाता है।
इस बयान के बाद संसद की IT समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा था कि इस बयान पर कंपनी को माफी मांगनी चाहिए। वरना हमारी समिति उन्हें मानहानि का नोटिस भेजेगी।
META इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट शिवनाथ ठुकराल ने बुधवार को कहा- यह एक लापरवाही थी। मार्क जुकरबर्ग ने कहा कि कोरोना के बाद कई मौजूदा सरकारें गिर गईं, लेकिन ऐसा भारत में नहीं हुआ। हम लापरवाही के चलते हुई इस गलती के लिए माफी मांगते हैं। भारत META के लिए बहुत अहम देश है।
मार्क जुकरबर्ग जो रोगन के साथ एक पॉडकास्ट में कोविड-19 महामारी के बाद सरकारों में विश्वास की कमी पर चर्चा कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि 2024 एक बड़ा चुनावी साल था। भारत समेत इन सभी देशों में चुनाव थे। लगभग सभी सत्ताधारी चुनाव हार गए।
पूरे साल में किसी न किसी तरह की वैश्विक घटना हुई। चाहे वो मुद्रास्फीति के कारण हो। कोविड से निपटने के लिए आर्थिक नीतियों के कारण या सरकारों द्वारा कोविड से निपटने के तरीके के कारण। ऐसा लगता है कि इसका प्रभाव वैश्विक था।
लोगों की नाराजगी और गुस्से ने दुनिया भर में चुनाव परिणामों को प्रभावित किया। सभी सत्तासीन लोग हार गए। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार भी हार गई।
मेटा भारत में डेटा सेंटर खोल सकता है फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सएप की पेरेंट कंपनी मेटा चेन्नई में रिलायंस इंडस्ट्रीज के कैंपस में भारत में अपना पहला डेटा सेंटर स्थापित कर सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मार्च 2024 में जामनगर में हुए बिजनेसमैन मुकेश अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी की प्री वेडिंग फंक्शन में जुकरबर्ग शामिल हुए थे। तभी उन्होंने रिलायंस के साथ इसको लेकर एक समझौता किया था।
डेटा सेंटर से मेटा को फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सएप जैसे अपने एप पर लोकल लेवल पर यूजर्स द्वारा तैयार किए गए कंटेंट को प्रोसेसिंग करने में मदद मिलेगी। हालांकि अभी तक डील के बारे में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
जुकरबर्ग ने जो रोगन के इंटरव्यू में ये बयान दिया
मार्क जुकरबर्ग जो रोगन के साथ एक पॉडकास्ट में कोविड-19 महामारी के बाद सरकारों में विश्वास की कमी पर चर्चा कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि 2024 एक बड़ा चुनावी साल था। भारत समेत इन सभी देशों में चुनाव थे। लगभग सभी सत्ताधारी चुनाव हार गए।
पूरे साल में किसी न किसी तरह की वैश्विक घटना हुई। चाहे वो मुद्रास्फीति के कारण हो। कोविड से निपटने के लिए आर्थिक नीतियों के कारण या सरकारों द्वारा कोविड से निपटने के तरीके के कारण। ऐसा लगता है कि इसका प्रभाव वैश्विक था।
लोगों की नाराजगी और गुस्से ने दुनिया भर में चुनाव परिणामों को प्रभावित किया। सभी सत्तासीन लोग हार गए। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार भी हार गई।