नई दिल्ली,11 जनवरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जीवन के कई उतार-चढ़ावों का सामना किया है, लेकिन उन्होंने एक बार खुलकर बताया कि उनके जीवन का सबसे कष्टदायक पल कौन सा था। उन्होंने कहा कि जब अमेरिका ने उनका वीजा कैंसिल किया था, वह पल उनके लिए बेहद कठिन था। लेकिन इसी चुनौती ने उन्हें एक मजबूत संकल्प लेने के लिए प्रेरित किया।
अमेरिका ने क्यों किया था वीजा रद्द?
2002 में गुजरात में हुए दंगों के बाद नरेंद्र मोदी पर कई तरह के आरोप लगे। उस समय मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। अमेरिका ने इन्हीं आरोपों के आधार पर नरेंद्र मोदी का वीजा रद्द कर दिया था। यह कदम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गया था। अमेरिका ने उन पर धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन का आरोप लगाया था, जिसके चलते उन्हें अमेरिका की यात्रा की अनुमति नहीं दी गई।
कठिनाई में लिया गया संकल्प
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि उस समय वीजा रद्द होने की खबर ने उन्हें झकझोर दिया था। लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय इसे एक अवसर के रूप में लिया। उन्होंने संकल्प लिया कि वह देश की सेवा करते हुए खुद को इस तरह साबित करेंगे कि एक दिन वही देश उन्हें विशेष आमंत्रण देकर बुलाएगा।
संकल्प से सफलता तक का सफर
नरेंद्र मोदी ने अपने राजनीतिक करियर में कड़ी मेहनत और जनता के विश्वास से खुद को साबित किया। 2014 में जब वे भारत के प्रधानमंत्री बने, तो अमेरिका ने उनका भव्य स्वागत किया। उस समय अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उन्हें आधिकारिक निमंत्रण भेजा। मोदी ने अमेरिका जाकर वहां के संसद में ऐतिहासिक भाषण दिया और वैश्विक मंच पर भारत की मजबूत छवि प्रस्तुत की।
कठिनाइयों से सीखने की प्रेरणा
प्रधानमंत्री मोदी ने यह अनुभव साझा करते हुए कहा कि जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ हमें मजबूत बनाती हैं। उन्होंने कहा कि हर चुनौती एक अवसर होती है, बशर्ते हम उससे हार मानने के बजाय सीखें और आगे बढ़ें। उनका यह अनुभव हर व्यक्ति को यह संदेश देता है कि असफलता या निराशा केवल एक पड़ाव है, मंजिल नहीं।
निष्कर्ष
नरेंद्र मोदी का अमेरिका द्वारा वीजा रद्द किया जाना उनके जीवन का कठिनतम पल था, लेकिन इसी घटना ने उन्हें एक मजबूत नेता बनने की दिशा में प्रेरित किया। आज वे न केवल भारत के प्रधानमंत्री हैं, बल्कि विश्व राजनीति में भी एक प्रभावशाली व्यक्तित्व के रूप में स्थापित हो चुके हैं। उनका जीवन हमें सिखाता है कि कठिनाइयाँ चाहे जितनी भी बड़ी क्यों न हों, अगर संकल्प मजबूत हो तो सफलता निश्चित है।