ग्रीनलैंड को क्यों कब्जाना चाहता है अमेरिका

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वॉशिंगटन,7 जनवरी। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का एक मशहूर कथन है, ‘यदि आप किसी व्यक्ति के चरित्र की परीक्षा लेना चाहते हैं, तो उसे ताकत दें.’ अब्राहम लिंकन की रिपब्लिकन पार्टी से ही डोनाल्ड ट्रंप को अब अथाह ताकत मिल चुकी है. अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद से ट्रंप लगातार विस्तारवादी बयान दे रहे हैं. उनके बयान ऐसे हैं कि चीन जैसे विस्तारवादी देश को भी शर्म आ जाए. ट्रंप ने कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की बात की है और वह ग्रीनलैंड और पनामा नहर को भी अमेरिका का हिस्सा बनाने की बात करते रहे हैं. इस लेख में हम ग्रीनलैंड के बारे में जानेंगे कि आखिर ट्रंप ग्रीनलैंड को अमेरिका का हिस्सा बनाने की बात क्यों करते हैं और इस क्षेत्र का क्या महत्व है?

कहां हैं ग्रीनलैंड?
आप जब भी दुनिया का नक्शा देखेंगे तो उत्तरी अमेरिका के ऊपर एक विशाल सफेद रंग का इलाका दिखेगा. यही ग्रीनलैंड है. उत्तरी अटलांटिक महासागर में यूरोप और अमेरिका के बीच यह स्थित है. ग्रीनलैंड आकार में सऊदी अरब और मेक्सिको से भी बड़ा है, लेकिन इसके बावजूद यह एक स्वतंत्र देश नहीं है. ग्रीनलैंड डेनमार्क का एक स्वायत्त क्षेत्र है, और ग्रीनलैंड कि विदेश नीति और सुरक्षा डेनमार्क देखता है.

क्यों है अमेरिका की दिलचस्पी?
ग्रीनलैंड ऊपर से बर्फ से ढका हुआ दिखता है, लेकिन यह रणनीतिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है. यहाँ विशाल खनिजों और जीवाश्म ईंधनों के भंडार हैं. अमेरिका, रूस और चीन सभी इस क्षेत्र पर अपनी नजरें गड़ाए हुए हैं. अमेरिका का पिटुफिक स्पेस बेस ग्रीनलैंड में स्थित है, जो शीत युद्ध के दौरान एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थल था और आज भी रूस, चीन और उत्तर कोरिया से रक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण है. ग्रीनलैंड में दुर्लभ खनिज पाए जाते हैं, जो आज के समय किसी खजाने से कम नहीं है. इनका उपयोग तकनीकी उपकरणों, इलेक्ट्रिक वाहनों और हथियारों में होता है. वर्तमान में चीन इन खनिजों के वैश्विक बाजार में प्रभुत्व रखता है. ट्रंप का मानना है कि ग्रीनलैंड पर कब्जा करने से अमेरिका इस क्षेत्र में चीन को पीछे छोड़ सकता है.

इस कारण भी कब्जा चाहते हैं ट्रंप?
ट्रंप के बयान को विस्तारवादी मानसिकता की ओर इशारा माना जा सकता है, लेकिन उनके अनुसार रूस और चीन से एक बड़ा खतरा उत्पन्न हो रहा है. रूस के जनरल ग्रीनलैंड पर कब्जा करने की बातें करते रहे हैं. पिछले साल दिसंबर में, डेनमार्क ने रूस की आक्रामक धमकियों के चलते सैन्य टकराव की चेतावनी दी थी. डेनमार्क स्थित इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज के वरिष्ठ शोधकर्ता उलरिक प्राम गाद ने CNN को बताया, ‘अमेरिका यह सुनिश्चित करना चाहता है कि कोई शत्रुतापूर्ण ताकत ग्रीनलैंड पर कब्जा न कर ले, क्योंकि यह अमेरिका के लिए एक सुरक्षा खतरा बन सकता है.

ग्रीनलैंड को खरीदने की लगाई थी बोली
अमेरिका ने पहले भी कई देशों का हिस्सा खरीदा है. अलास्का को खरीदने से पहले, 1803 में अमेरिका ने फ्रांस से लुइसियाना 15 मिलियन डॉलर में खरीदी थी. राष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन ने 1867 में ग्रीनलैंड के संसाधनों और स्थान को अधिग्रहण के लिए आदर्श माना था, लेकिन इस पर कोई औपचारिक कदम नहीं उठाए थे. एक सदी बाद, राष्ट्रपति हैरी एस. ट्रूमैन ने 1946 में डेनमार्क को ग्रीनलैंड के लिए 100 मिलियन डॉलर का प्रस्ताव दिया, और साथ ही अलास्का के कुछ हिस्सों को ग्रीनलैंड के बदले में देने का विचार किया था. हालांकि, यह सौदा कभी अस्तित्व में नहीं आया. साल 2019 में ट्रंप ने भी कोशिश की थी. अब यह देखने वाली बात होगी कि ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में इसे लेकर क्या कर पाते हैं?

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