नई दिल्ली,28 दिसंबर। श्रीहरिकोटा, 30 दिसंबर 2024: भारत अब अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचने की कगार पर है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 30 दिसंबर को अपने इस साल के आखिरी मिशन स्पैडेक्स को लॉन्च करने जा रहा है। इस मिशन के सफल होने पर भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा, जिनके पास अंतरिक्ष में यानों की डॉकिंग और अनडॉकिंग करने की क्षमता है।
स्पैडेक्स मिशन: क्या है खास?
स्पैडेक्स मिशन को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रात्रि 9:58 बजे प्रक्षेपित किया जाएगा। इस मिशन के तहत, पीएसएलवी-सी60 रॉकेट का उपयोग करके दो छोटे अंतरिक्ष यानों को पृथ्वी की सतह से लगभग 470 किलोमीटर ऊपर एक निचली-पृथ्वी कक्षा (लो अर्थ ऑर्बिट) में स्थापित किया जाएगा। इन दोनों यानों को 55 डिग्री के झुकाव पर एक गोलाकार कक्षा में तैनात किया जाएगा।
डॉकिंग और अनडॉकिंग की प्रक्रिया
स्पैडेक्स मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में यानों की डॉकिंग और अनडॉकिंग की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक प्रदर्शित करना है।
- डॉकिंग: जब एक अंतरिक्ष यान, दूसरे अंतरिक्ष यान के साथ जुड़ता है।
- अनडॉकिंग: जब दोनों यान एक-दूसरे से अलग होते हैं।
प्रक्षेपण के 24 घंटे बाद, दोनों यान लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर आ जाएंगे। इसके बाद, बेंगलुरु स्थित इसरो के मिशन कंट्रोल सेंटर से वैज्ञानिक इन यानों को सटीकता के साथ डॉकिंग और अनडॉकिंग की प्रक्रिया के माध्यम से नियंत्रित करेंगे।
महत्व और उपयोगिता
स्पैडेक्स मिशन भारत के लिए कई महत्वपूर्ण उद्देश्यों की पूर्ति में सहायक होगा:
- स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन: यह मिशन भारत को अपने अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) के निर्माण की ओर एक कदम आगे बढ़ाएगा।
- चंद्रमा से नमूने वापस लाना: डॉकिंग तकनीक चंद्रमा और अन्य ग्रहों से नमूने लाने में मदद करेगी।
- पुनः प्रयोज्य प्रक्षेपण यान: यह मिशन भारत के RLV (रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल) को भविष्य में अंतरिक्ष यानों के साथ जोड़ने की क्षमता प्रदान करेगा।
- उपग्रह सर्विसिंग और फॉर्मेशन फ्लाइंग: यह क्षमता उपग्रहों के रखरखाव और नए अंतरिक्ष अभियानों के लिए महत्वपूर्ण होगी।
दुनिया के अन्य देश और भारत की एंट्री
वर्तमान में केवल संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, और चीन के पास यह तकनीक है। स्पैडेक्स मिशन की सफलता के साथ, भारत चौथा ऐसा देश बन जाएगा, जो अंतरिक्ष में यानों की डॉकिंग क्षमता हासिल करेगा।
एक नई उड़ान की तैयारी
यह मिशन न केवल भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को और मजबूत करेगा, बल्कि विश्व मंच पर उसकी तकनीकी श्रेष्ठता को भी प्रदर्शित करेगा। स्पैडेक्स मिशन इसरो के उन महत्वाकांक्षी प्रयासों में से एक है, जो भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी बना रहे हैं।
निष्कर्ष
स्पैडेक्स मिशन के जरिए भारत एक बार फिर यह साबित करने जा रहा है कि उसकी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी न केवल आत्मनिर्भर है, बल्कि वैश्विक मानकों को चुनौती देने में भी सक्षम है। यह मिशन भारत की अंतरिक्ष यात्रा का एक नया अध्याय लिखने जा रहा है, जो न केवल विज्ञान के क्षेत्र में बल्कि हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण होगा।