नई दिल्ली,21 दिसंबर। दिल्ली के स्कूलों में कथित तौर पर अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान और उनकी गतिविधियों की जांच को लेकर नगर निगम (एमसीडी) सक्रिय हो गया है। एमसीडी ने इस मामले में सभी स्कूल प्रबंधन से 31 दिसंबर तक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। यह कदम राजधानी में सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं के मद्देनजर उठाया गया है।
कैसे शुरू हुआ मामला?
सूत्रों के अनुसार, कुछ स्कूलों में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के बच्चों के नामांकन और उनकी संदिग्ध गतिविधियों की शिकायतें मिली थीं। इसके बाद एमसीडी ने इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए स्कूलों से जानकारी एकत्र करने का निर्देश जारी किया।
एमसीडी का निर्देश
एमसीडी ने सभी स्कूल प्रबंधन से कहा है कि वे अपने यहां पढ़ रहे छात्रों और उनके अभिभावकों के दस्तावेजों की जांच करें। इसमें निवास प्रमाण पत्र, आधार कार्ड और अन्य वैध पहचान पत्र शामिल हैं। यदि किसी छात्र या अभिभावक के दस्तावेज संदिग्ध पाए जाते हैं, तो उसकी रिपोर्ट तैयार कर एमसीडी को सौंपनी होगी।
सुरक्षा के दृष्टिकोण से अहम कदम
राजधानी में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों की मौजूदगी लंबे समय से एक संवेदनशील मुद्दा रहा है। इस मामले में एमसीडी का यह कदम न केवल सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि सरकारी योजनाओं का लाभ केवल योग्य नागरिकों को ही मिले।
स्कूलों की प्रतिक्रिया
कुछ स्कूल प्रबंधन ने एमसीडी के इस निर्देश को सही ठहराया है और कहा है कि वे पूरी तरह सहयोग करेंगे। वहीं, कुछ शिक्षाविदों का मानना है कि इस प्रक्रिया को सावधानीपूर्वक और बच्चों के हितों को ध्यान में रखते हुए पूरा किया जाना चाहिए।
समाज में मचेगा असर?
एमसीडी के इस कदम से समाज में मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। जहां कुछ लोग इसे सुरक्षा और सरकारी संसाधनों के सही उपयोग के लिए जरूरी मानते हैं, वहीं कुछ का कहना है कि यह प्रक्रिया बच्चों की शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
क्या होगा अगला कदम?
एमसीडी द्वारा मांगी गई रिपोर्ट के आधार पर संबंधित अधिकारियों द्वारा आगे की कार्रवाई की जाएगी। यदि किसी भी छात्र या अभिभावक के दस्तावेज संदिग्ध पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
निष्कर्ष
दिल्ली के स्कूलों में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान और उनके खिलाफ कार्रवाई का यह कदम राजधानी की सुरक्षा और संसाधनों के कुशल प्रबंधन के लिए उठाया गया एक महत्वपूर्ण प्रयास है। हालांकि, इसे लागू करते समय यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि किसी निर्दोष को इसका शिकार न बनना पड़े और बच्चों की शिक्षा बाधित न हो।