बीजेपी सांसद अपराजिता ने प्रियंका गांधी को दिया ‘1984’ लिखा बैग, सियासी गलियारों में मचा हड़कंप

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नई दिल्ली,20 दिसंबर। ओडिशा से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महिला सांसद अपराजिता सारंगी ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी को एक ऐसा बैग उपहार में दिया है, जिसने राजनीतिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है। इस बैग पर ‘1984’ लिखा हुआ है, और इसे खून के धब्बों से रंगा हुआ दिखाया गया है। यह इशारा सीधे तौर पर 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों की ओर करता है, जो भारत के इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक है।

क्या है बैग का संदेश?

बैग पर साल “1984” को प्रमुखता से उकेरा गया है और इसे खून से सना हुआ दिखाया गया है। इसके जरिए 1984 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के शासनकाल में हुए सिख विरोधी दंगों की ओर इशारा किया गया है। यह दंगे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के थे, जिनमें हजारों सिख मारे गए थे।

अपराजिता का बयान

सांसद अपराजिता सारंगी ने इस बैग को प्रियंका गांधी को सौंपते हुए कहा, “यह बैग कांग्रेस के काले इतिहास का प्रतीक है। 1984 के सिख विरोधी दंगे उस समय की सरकार की विफलता और निर्दोष नागरिकों पर हुए अत्याचार को दर्शाते हैं।”

उन्होंने आगे कहा कि यह बैग प्रियंका गांधी को कांग्रेस के शासनकाल के दौरान हुई त्रासदियों को याद दिलाने और उनसे सबक लेने के लिए दिया गया है।

कांग्रेस की प्रतिक्रिया

कांग्रेस पार्टी ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी नेताओं ने इसे भाजपा की “राजनीतिक नौटंकी” और “घिनौनी चाल” करार दिया। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “भाजपा हर मुद्दे को सियासी रंग देने की कोशिश करती है। यह एक शर्मनाक हरकत है, जिसका उद्देश्य केवल ध्यान आकर्षित करना है।”

सिख समुदाय की प्रतिक्रिया

सिख समुदाय ने इस घटना पर मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। कुछ लोगों ने इसे सिख दंगों के पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में उठाया गया सही कदम बताया है, जबकि कुछ ने इसे राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कहा।

राजनीतिक विश्लेषण

विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना भाजपा और कांग्रेस के बीच चल रही तीखी सियासी लड़ाई का नया अध्याय है। 1984 के सिख विरोधी दंगे भारतीय राजनीति में हमेशा से ही विवादित मुद्दा रहे हैं। भाजपा ने इसे कई बार कांग्रेस के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है।

निष्कर्ष

अपराजिता सारंगी द्वारा प्रियंका गांधी को दिया गया यह बैग एक प्रतीकात्मक कदम है, जो 1984 की त्रासदी को फिर से राजनीतिक बहस के केंद्र में लाता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह घटना आगामी चुनावों और भाजपा-कांग्रेस के बीच की राजनीतिक लड़ाई को कैसे प्रभावित करती है।

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