नई दिल्ली,17 दिसंबर। कनाडा की उपप्रधानमंत्री और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने सोमवार को प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से टकराव के बाद अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया। यह इस्तीफ़ा अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा संभावित टैरिफ़ लगाए जाने के मुद्दे पर दोनों के बीच मतभेद के कारण हुआ।
फ्रीलैंड का यह कदम प्रधानमंत्री ट्रूडो के लिए एक अप्रत्याशित झटका माना जा रहा है, क्योंकि वह पहले ही अल्पमत सरकार चला रहे हैं।
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार, लिबरल पार्टी के नेता ट्रूडो सर्वेक्षणों में कंज़र्वेटिव पार्टी के नेता पीएर पॉलिवेयर से 20% पीछे चल रहे हैं। 2015 में प्रधानमंत्री बनने के समय 63% लोकप्रियता रखने वाले ट्रूडो का समर्थन अब सिर्फ 28% तक गिर गया है।
इस घटनाक्रम के बाद वरिष्ठ कैबिनेट सहयोगी का त्यागपत्र ट्रूडो के लिए सबसे बड़ी चुनौती के रूप में उभर कर सामने आया है। विश्लेषकों का मानना है कि यह इस्तीफ़ा सत्ता पर उनकी पकड़ को और कमजोर कर सकता है।
फ्रीलैंड के इस्तीफ़े के बाद कनाडा की पब्लिक सेफ़्टी मंत्री डॉमिनीक लेबलांक को वित्त मंत्री बनाया गया है। वहीं, विपक्ष और सहयोगी दलों ने ट्रूडो पर हमले तेज़ कर दिए हैं। एनडीपी नेता जगमीत सिंह ने ट्रूडो से इस्तीफ़े की मांग की है, जबकि कंज़र्वेटिव नेता पीएर पॉलिवेयर ने संसद में उनके नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं।
पॉलिवेयर ने कहा, “जिस दिन बजट पेश होना था, उसी दिन वित्त मंत्री ने इस्तीफ़ा दे दिया। अब उद्योग मंत्री भी इस ज़िम्मेदारी को नहीं लेना चाहते। ट्रूडो को खुद संसद में आकर जवाब देना चाहिए।”
इस घटनाक्रम के बीच ट्रूडो सरकार को एक और झटका तब लगा जब उनकी हाउसिंग मंत्री सां फ्रेज़र ने भी इस्तीफ़ा दे दिया।
डलहौज़ी यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर लोरी टर्नबॉल ने इस इस्तीफ़े को ‘विश्वास का संकट’ करार दिया। उन्होंने कहा कि यह ट्रूडो की सरकार के प्रति कैबिनेट के भरोसे में कमी को दर्शाता है।
कनाडा में अगले साल अक्टूबर में संसदीय चुनाव होने हैं। इस इस्तीफे के बाद लिबरल पार्टी में नेतृत्व का संकट गहराने की संभावना है।
राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर नेल्सन वाइज़मेन ने कहा कि पार्टी के पास ट्रूडो को हटाने का कोई स्पष्ट तरीका नहीं है और यह काम केवल पार्टी के भीतर बड़े पैमाने पर विद्रोह से ही संभव होगा।
फ्रीलैंड के इस कदम को ट्रूडो की आर्थिक नीतियों के खिलाफ एक बड़ी नाराज़गी के रूप में देखा जा रहा है, जो आगामी चुनावों में लिबरल पार्टी की स्थिति को और कमजोर कर सकता है।