नई दिल्ली,25 नवम्बर। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हाल ही में हुई हिंसा के दौरान के हालातों ने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया। सांप्रदायिक तनाव के बीच चश्मदीदों ने उन भयावह पलों को याद किया जब भीड़ बेकाबू हो गई और हालात तेजी से बिगड़ने लगे।
मस्जिद से अपील के बावजूद बिगड़े हालात
घटना के दौरान मस्जिद से लगातार अनाउंसमेंट किए जा रहे थे कि लोग शांति और सब्र बनाए रखें। चश्मदीदों के अनुसार, धार्मिक नेताओं ने लोगों से अपील की कि किसी भी उकसावे में न आएं और कानून-व्यवस्था बनाए रखें। लेकिन, भीड़ ने इन अपीलों को अनदेखा कर दिया और हालात तेजी से हिंसक हो गए।
चश्मदीद ने बताया हिंसा का मंजर
एक स्थानीय चश्मदीद ने कहा, “मस्जिद से बार-बार शांति बनाए रखने की घोषणा हो रही थी। लेकिन भीड़ में कुछ असामाजिक तत्व शामिल हो गए, जिन्होंने माहौल को और खराब कर दिया। लोगों के हाथों में लाठी-डंडे थे और वे नारेबाजी कर रहे थे। देखते ही देखते पथराव शुरू हो गया और दुकानों में तोड़फोड़ होने लगी।”
प्रशासन की कोशिशें और चुनौतियां
पुलिस और प्रशासन ने तुरंत मौके पर पहुंचकर हालात को काबू में करने की कोशिश की। हालांकि, भीड़ के उग्र रवैये के कारण स्थिति संभालने में समय लगा। पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े, जिसके बाद भीड़ को तितर-बितर किया जा सका।
स्थानीय व्यापारियों और निवासियों को हुआ नुकसान
इस हिंसा में कई दुकानों और घरों को नुकसान पहुंचा। स्थानीय व्यापारियों ने बताया कि उन्होंने अपने सामान को बचाने की कोशिश की, लेकिन हिंसा के दौरान उन्हें काफी नुकसान हुआ। एक दुकानदार ने कहा, “हमें समझ नहीं आया कि यह सब कब शुरू हुआ और कब खत्म हुआ। हमारी जिंदगीभर की मेहनत पर पानी फिर गया।”
स्थिति अभी भी तनावपूर्ण
घटना के बाद से इलाके में पुलिस बल तैनात है और स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। प्रशासन ने सभी से शांति बनाए रखने की अपील की है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
निष्कर्ष
संभल की यह घटना यह दिखाती है कि कैसे अफवाहें और भीड़ का उग्र रवैया हालात को बिगाड़ सकता है। हालांकि, मस्जिद और प्रशासन की ओर से शांति बनाए रखने की कोशिशें की गईं, लेकिन असामाजिक तत्वों ने इसे नजरअंदाज कर दिया। यह जरूरी है कि समाज के हर वर्ग से मिलकर ऐसे हालातों में संयम और एकजुटता का प्रदर्शन हो, ताकि किसी भी तरह की हिंसा से बचा जा सके।