नई दिल्ली,22 नवम्बर। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए अपने अभियान की शुरुआत करते हुए एक बड़ा बयान दिया है। ‘फ्री की रेवड़ी’ को लेकर हो रही बहस के बीच केजरीवाल ने जनता से सीधा सवाल किया, “फ्री की रेवड़ी चाहिए या नहीं? यह अब दिल्ली की जनता तय करेगी।”
इस बयान के जरिए केजरीवाल ने एक बार फिर से मुफ्त सेवाओं और योजनाओं पर केंद्रित अपने मॉडल का बचाव किया है। उनके मुताबिक, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं को मुफ्त करना ‘रेवड़ी’ नहीं, बल्कि हर नागरिक का अधिकार है।
चुनावी कैंपेन की शुरुआत
आम आदमी पार्टी (आप) ने इस चुनावी कैंपेन को ‘जन अधिकार बनाम फ्री रेवड़ी’ का नाम दिया है। लॉन्च इवेंट में केजरीवाल ने कहा:
“हमने दिल्ली के लोगों को मुफ्त शिक्षा, अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं, और 24 घंटे मुफ्त बिजली जैसी सुविधाएं दी हैं। ये रेवड़ी नहीं, बल्कि आपके अधिकार हैं।”
“जो लोग इसे ‘फ्री की रेवड़ी’ कहते हैं, वे चाहते हैं कि ये सुविधाएं केवल अमीरों के लिए रहें। लेकिन हमारी सरकार गरीब और आम आदमी के लिए काम करती है।”
मुद्दों पर जोर
इस कैंपेन के तहत केजरीवाल ने उन योजनाओं को प्रमुखता दी है, जिन्हें आप सरकार ने पिछले कार्यकाल में लागू किया है:
शिक्षा: सरकारी स्कूलों को सुधारने और दिल्ली को शिक्षा का मॉडल राज्य बनाने का दावा।
स्वास्थ्य: मोहल्ला क्लीनिक और सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा।
बिजली और पानी: 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली और पानी की सब्सिडी।
महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा: महिलाओं को सार्वजनिक परिवहन में सशक्त बनाने की पहल।
‘फ्री रेवड़ी’ पर राजनीतिक बहस
केजरीवाल के इस बयान को भाजपा और कांग्रेस पर पलटवार के रूप में देखा जा रहा है।
भाजपा का आरोप: भाजपा ने ‘फ्री रेवड़ी’ संस्कृति को लेकर आप सरकार की आलोचना की है और इसे दीर्घकालिक विकास में बाधा बताया है।
केजरीवाल का जवाब: केजरीवाल ने भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि “जब अमीरों को टैक्स में छूट दी जाती है, तो उसे ‘प्रोत्साहन’ कहा जाता है। लेकिन गरीबों को मदद करना ‘फ्री रेवड़ी’ कैसे हो जाता है?”
जनता पर निर्भर परिणाम
दिल्ली के आगामी चुनाव इस बात पर निर्भर करेंगे कि जनता केजरीवाल के मॉडल को कितना समर्थन देती है। क्या जनता इसे ‘अधिकार’ मानती है, या विपक्ष के ‘रेवड़ी संस्कृति’ के तर्क को स्वीकार करती है?
निष्कर्ष
अरविंद केजरीवाल का चुनावी कैंपेन साफ तौर पर उन योजनाओं पर आधारित है, जिन्होंने उन्हें दिल्ली की राजनीति में लोकप्रिय बनाया। उनकी ‘फ्री की रेवड़ी’ वाली टिप्पणी ने राजनीतिक माहौल को और गर्मा दिया है। अब देखना होगा कि दिल्ली की जनता इस पर क्या फैसला करती है और क्या आप सरकार तीसरी बार सत्ता में वापसी कर पाती है।