उत्तर प्रदेश,22 नवम्बर। उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारी अभी से तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अब पूरी तरह से अपने पिता और सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के अंदाज में सक्रिय नजर आ रहे हैं। राजनीति की जमीन पर अखाड़े के दांव-पेंच और जमीनी मुद्दों को प्राथमिकता देकर अखिलेश यादव ने संकेत दिया है कि इस बार उनकी रणनीति कुछ अलग होगी।
अखाड़े वाला अंदाज: क्या है अखिलेश की नई रणनीति?
अखिलेश यादव ने हाल ही में अपनी राजनीति को मुलायम सिंह यादव के पुराने “धरातल वाले” अंदाज में ढालने की कोशिश शुरू की है।
ग्रामीण और किसान केंद्रित रुख: अखिलेश अब किसानों, मजदूरों और ग्रामीण समुदाय के मुद्दों को अपनी प्राथमिकता बना रहे हैं।
जमीनी स्तर पर जुड़ाव: हाल ही में अखिलेश ने कई जिलों का दौरा किया, जहां उन्होंने स्थानीय लोगों से मुलाकात की और उनकी समस्याएं सुनीं।
कुश्ती और खेलों को बढ़ावा: अखिलेश यादव ने पारंपरिक खेलों जैसे कुश्ती, कबड्डी और अन्य ग्रामीण खेलों को बढ़ावा देकर युवाओं के साथ जुड़ने का प्रयास किया है।
सामाजिक समीकरणों पर जोर: मुलायम सिंह की तरह अखिलेश भी जातिगत और सामाजिक समीकरणों को साधने में जुट गए हैं, खासकर यादव और मुस्लिम समुदाय के गठजोड़ को मजबूत करने के लिए।
मुलायम वाले तेवर की झलक
मुलायम सिंह यादव का अंदाज हमेशा जमीन से जुड़े मुद्दों पर आधारित था। चाहे वह किसानों का मुद्दा हो, या युवा और खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने की बात, मुलायम सिंह यादव का तरीका जनता के बीच रहकर राजनीति करने का था। अब अखिलेश उसी दिशा में कदम बढ़ाते नजर आ रहे हैं।
ग्रामीण सभाएं: अखिलेश अब छोटे गांवों में सभाएं और बैठकें कर रहे हैं।
प्रत्यक्ष संवाद: अखिलेश, मुलायम के “जनता से सीधे संवाद” की शैली को अपनाते हुए हर वर्ग के लोगों से मिल रहे हैं।
राजनीतिक आक्रामकता: भाजपा और योगी आदित्यनाथ सरकार पर लगातार तीखे हमले कर अखिलेश ने दिखाया कि वे 2027 की लड़ाई के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
भाजपा के खिलाफ रणनीति
2022 में अखिलेश यादव की सपा मजबूत विपक्ष के रूप में उभरी थी, लेकिन सत्ता में वापसी का उनका सपना अधूरा रह गया। 2027 के लिए अखिलेश ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए भाजपा के खिलाफ जनता के गुस्से और असंतोष को भुनाने का प्रयास शुरू कर दिया है।
युवाओं पर फोकस: रोजगार, शिक्षा, और खेलों के मुद्दे पर युवाओं को साथ लाने की कोशिश।
महंगाई और किसान मुद्दा: सरकार की नीतियों पर सवाल उठाकर ग्रामीण क्षेत्रों में पैठ बढ़ाने का प्रयास।
नए गठबंधन की तैयारी: अखिलेश ने संकेत दिया है कि 2027 के चुनाव में वे छोटे दलों और विपक्षी पार्टियों के साथ नए समीकरण बनाने के लिए तैयार हैं।
क्या अखिलेश दोहरा पाएंगे इतिहास?
अखिलेश यादव के “मुलायम अंदाज” से सपा समर्थकों को उम्मीद है कि 2027 में सपा वही करिश्मा दोहरा सकती है, जो मुलायम सिंह यादव ने 90 के दशक में किया था। लेकिन यूपी की राजनीति में भाजपा की पकड़ मजबूत है और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा के सामने अखिलेश को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
निष्कर्ष
2027 के विधानसभा चुनाव न केवल उत्तर प्रदेश की राजनीति का नया अध्याय लिखेंगे, बल्कि अखिलेश यादव के राजनीतिक करियर के लिए भी महत्वपूर्ण होंगे। जिस तरह से वे जमीन पर काम कर रहे हैं और “मुलायम वाले तेवर” दिखा रहे हैं, उससे साफ है कि उनकी नजरें इस बार सत्ता में वापसी पर टिकी हैं। अब देखना होगा कि यह नई रणनीति अखिलेश और सपा को कितनी सफलता दिला पाती है।