नई दिल्ली,21 नवम्बर। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव नतीजों के आने से पहले ही महा विकास अघाड़ी (MVA) के घटक दलों के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नाना पटोले और शिवसेना (यूबीटी) के संजय राउत के बयान इस विवाद को और बढ़ा रहे हैं।
कांग्रेस ने किया दावा: “हमारा होगा मुख्यमंत्री”
कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नाना पटोले ने दावा किया है कि अगर महा विकास अघाड़ी को बहुमत मिलता है, तो मुख्यमंत्री कांग्रेस पार्टी से होगा।
उन्होंने कहा:
“कांग्रेस महाराष्ट्र में सबसे पुरानी और स्थायी पार्टी है। अगर जनता ने हमें समर्थन दिया है, तो मुख्यमंत्री हमारी पार्टी से ही होना चाहिए।”
पटोले ने यह भी जोड़ा कि कांग्रेस ने इस गठबंधन को स्थिरता दी है और इसके नेतृत्व का हकदार है।
शिवसेना (यूबीटी) ने किया पलटवार
शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने पटोले के इस दावे को खारिज करते हुए कहा:
“मुख्यमंत्री कौन होगा, यह नतीजों के बाद तय होगा। किसी को भी पहले से फैसला सुनाने का हक नहीं है। हमारी पार्टी ने अघाड़ी को मजबूती दी है, और हम कांग्रेस का यह दावा स्वीकार नहीं करेंगे।”
राउत का कहना है कि शिवसेना (यूबीटी) का नेतृत्व उद्धव ठाकरे ने किया है, और मुख्यमंत्री पद के लिए उनकी पार्टी का दावा भी मजबूत है।
एनसीपी की स्थिति
शरद पवार की एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) इस विवाद में अब तक चुप है। हालांकि, यह माना जा रहा है कि एनसीपी भी मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी पेश कर सकती है, खासकर अगर वे गठबंधन में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
चुनाव नतीजों से पहले खींचतान क्यों?
राजनीतिक महत्वाकांक्षा:
कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) दोनों ही खुद को गठबंधन का प्रमुख घटक मानते हैं।
आंतरिक शक्ति संतुलन:
गठबंधन के तीनों दलों (कांग्रेस, एनसीपी, और शिवसेना) के बीच सत्ता साझा करने का कोई स्पष्ट फॉर्मूला तय नहीं है।
बहुमत की स्थिति:
अगर किसी एक दल को ज्यादा सीटें मिलती हैं, तो वह मुख्यमंत्री पद पर अपना हक जताने की कोशिश करेगा।
MVA को खतरा?
इस बयानबाजी से यह सवाल उठने लगा है कि क्या चुनाव नतीजों के बाद भी महा विकास अघाड़ी एकजुट रह पाएगा।
गठबंधन की मजबूती: चुनाव से पहले की यह खींचतान गठबंधन के अंदर दरार को दिखा रही है।
भाजपा के लिए मौका: अगर गठबंधन में कोई फूट पड़ती है, तो भाजपा इसका फायदा उठाने की कोशिश कर सकती है।
क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकरार नतीजों के बाद और बढ़ सकती है।
अगर गठबंधन बहुमत से दूर रहता है, तो भाजपा या अन्य दलों के साथ नई राजनीतिक समीकरण बन सकते हैं।
अगर MVA बहुमत में आता है, तो मुख्यमंत्री पद को लेकर लंबा संघर्ष हो सकता है।
निष्कर्ष
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले ही महा विकास अघाड़ी में मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान शुरू हो चुकी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव परिणाम क्या रूप लेते हैं और गठबंधन का नेतृत्व किसके हाथ में जाता है। लेकिन एक बात साफ है कि इस विवाद ने गठबंधन की एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। नतीजे आने के बाद क्या महा विकास अघाड़ी सत्ता संभालने के लिए एकजुट रह पाएगी, यह देखने वाली बात होगी।