ओवैसी के नेता का विवादित बयान: ‘कांवड़ वाले शराब और चिलम लेकर मस्त रहते हैं’

Date:

नई दिल्ली,19 नवम्बर। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के एक नेता द्वारा कांवड़ यात्रियों को लेकर दिए गए बयान ने राजनीतिक हलकों में विवाद खड़ा कर दिया है। नेता ने एक जनसभा में कहा, “कांवड़ वाले शराब और चिलम लेकर मस्त रहते हैं।” इस बयान के बाद सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक मंचों तक तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।

क्या है मामला?
AIMIM के नेता ने हाल ही में एक सभा में कांवड़ यात्रा को लेकर अपमानजनक टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा के दौरान लोग अनुशासनहीनता का प्रदर्शन करते हैं और इसे धार्मिक यात्रा के बजाय मौज-मस्ती का साधन बना लिया गया है।

नेता ने अपने बयान में यह भी जोड़ा कि, “अगर हम मुस्लिम समुदाय का कोई त्योहार मनाएं और सार्वजनिक स्थलों पर ऐसा कुछ करें, तो हमें तुरंत निशाना बनाया जाता है।”

प्रतिक्रियाएं
इस बयान के बाद भाजपा, कांग्रेस और अन्य दलों के नेताओं ने AIMIM के नेता की कड़ी आलोचना की। भाजपा ने इसे हिंदू धार्मिक भावनाओं का अपमान करार दिया और कहा कि ऐसे बयान समाज में वैमनस्यता फैलाते हैं।

भाजपा नेता ने कहा, “कांवड़ यात्रा एक पवित्र धार्मिक परंपरा है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भगवान शिव की आराधना करते हैं। इस पर सवाल उठाना निंदनीय है।”

कांग्रेस ने भी बयान की आलोचना करते हुए इसे असंवेदनशील करार दिया।

AIMIM का रुख
हालांकि, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है। लेकिन पार्टी के भीतर भी इस बयान को लेकर मतभेद सामने आए हैं। कुछ नेताओं ने इसे व्यक्तिगत राय बताया है और कहा कि यह पार्टी का आधिकारिक रुख नहीं है।

कांवड़ यात्रा का महत्व
कांवड़ यात्रा उत्तर भारत के हिंदू धर्मावलंबियों के लिए एक प्रमुख धार्मिक परंपरा है। इसमें श्रद्धालु गंगा जल लेकर भगवान शिव को अर्पित करने के लिए कांवड़ लेकर लंबी यात्रा करते हैं। यह परंपरा शिवभक्ति और सेवा का प्रतीक मानी जाती है।

राजनीतिक प्रभाव
इस विवादित बयान ने उत्तर भारत में राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है। भाजपा ने इस मुद्दे को उठाते हुए इसे हिंदू धर्म पर हमला बताया और AIMIM को धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया है।

निष्कर्ष
कांवड़ यात्रा को लेकर AIMIM नेता का यह बयान न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत करता है, बल्कि समाज में सामुदायिक विभाजन को भी बढ़ावा दे सकता है। यह जरूरी है कि सभी राजनीतिक दल और नेता धार्मिक संवेदनशीलता का सम्मान करें और ऐसे बयानों से बचें जो समाज में विवाद उत्पन्न करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

दिवंगत मनीष के हत्यारों को मिलेगी कठोर सजा :मनोज तिवारी

भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने...

अमित शाह का बयान: महाराष्ट्र की सियासत में नए संकेत?

नई दिल्ली,19 नवम्बर। महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार...