नई दिल्ली,19 नवम्बर। महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संकल्प-पत्र की घोषणा के दौरान एक ऐसा बयान दिया, जिसने सियासी चर्चाओं को जन्म दे दिया है। उन्होंने कहा, “फिलहाल एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं,” और इस टिप्पणी ने राजनीतिक गलियारों में कई अर्थ निकालने का मौका दे दिया है।
बयान का मतलब और सियासी संकेत
अमित शाह के इस बयान को महज एक सामान्य टिप्पणी नहीं माना जा रहा। ‘फिलहाल’ शब्द ने अटकलों को हवा दे दी है कि महाराष्ट्र की सत्ता के समीकरणों में आने वाले समय में बदलाव हो सकता है।
भाजपा और एकनाथ शिंदे की शिवसेना (बालासाहेब) के बीच पिछले डेढ़ साल से गठबंधन की सरकार चल रही है। शिंदे ने उद्धव ठाकरे की शिवसेना से बगावत कर मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली थी। हालांकि, भाजपा का मुख्यमंत्री पद का सपना अधूरा रह गया। अमित शाह के बयान के बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव या 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले सत्ता का चेहरा बदल सकती है?
बीजेपी के संकल्प-पत्र की घोषणा
अमित शाह ने महाराष्ट्र के लिए भाजपा का संकल्प-पत्र जारी किया, जिसमें किसानों, युवाओं और महिलाओं के लिए कई बड़े वादे किए गए हैं। लेकिन इस घोषणा से ज्यादा चर्चा उनके बयान की हो रही है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान भाजपा की रणनीति का संकेत है, जिसमें वह अपने गठबंधन सहयोगी के साथ सत्ता संतुलन पर पुनर्विचार कर सकती है।
विपक्ष का हमला
अमित शाह के इस बयान को लेकर विपक्ष ने भाजपा पर निशाना साधा है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि यह बयान भाजपा की मंशा को जाहिर करता है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा शिंदे को सिर्फ अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल कर रही है और सही समय पर उन्हें दरकिनार कर देगी।
शरद पवार ने कहा,
“भाजपा को सिर्फ सत्ता से मतलब है। वे अपने सहयोगियों को कभी स्थायित्व नहीं देते।”
शिंदे गुट की प्रतिक्रिया
एकनाथ शिंदे गुट ने अमित शाह के बयान को हल्के में लेते हुए कहा कि यह विपक्ष का प्रोपगैंडा है। शिवसेना (बालासाहेब) के नेताओं ने कहा कि भाजपा और शिंदे गुट के बीच संबंध मजबूत हैं, और यह सरकार पूरे कार्यकाल तक चलेगी।
भाजपा की रणनीति
भाजपा ने महाराष्ट्र में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए बड़ी सियासी चालें चली हैं। हालांकि, देवेंद्र फडणवीस जैसे नेता, जिन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए योग्य माना जाता है, को उपमुख्यमंत्री के पद पर संतोष करना पड़ा। शाह के बयान के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या फडणवीस को जल्द ही मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।
निष्कर्ष
अमित शाह का ‘फिलहाल’ शब्द महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा मायने रखता है। भाजपा के अंदरूनी समीकरण और शिंदे सरकार के भविष्य को लेकर चर्चा और तेज हो गई है। आगामी चुनावों के मद्देनजर यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा और शिंदे गुट का यह गठबंधन कितना टिकाऊ साबित होता है और सत्ता का चेहरा क्या बदलता है।