हरिनी अमरसूर्या श्रीलंका की तीसरी महिला प्रधानमंत्री बनीं

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श्रीलंका ,19 नवम्बर। हरिनी अमरसूर्या श्रीलंका की नई प्रधानमंत्री बनाई गई हैं। इस पद पर पहुंचने वाली वह श्रीलंका की तीसरी महिला नेता हैं। वे 2 महीने पहले श्रीलंका में बनी अंतरिम सरकार में भी प्रधानमंत्री रह चुकी हैं।

प्रधानमंत्री बनाई गईं हरिनी अमरसूर्या की पढ़ाई 1991 से 1994 तक दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से हुई है। उन्होंने 5 साल पहले ही राजनीति में एंट्री ली थी।

श्रीलंका में 14 नवंबर को संसदीय चुनाव हुए थे। इसमें राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के गठबंधन NPP को जीत मिली थी। सोमवार को सरकार की नई कैबिनेट का गठन किया गया।

राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने कैबिनेट के सदस्यों को राष्ट्रपति सचिवालय में शपथ दिलाई। इस कैबिनेट में राष्ट्रपति समेत 22 सदस्य हैं। कैबिनेट में 2 महिलाओं और 2 तमिल सांसद भी शामिल किए गए हैं। डिप्टी मिनिस्टर के नाम बाद में घोषित किए जाएंगे।

श्रीलंका के संविधान के अनुसार कैबिनेट मंत्रियों की संख्या 30 और उप मंत्रियों की संख्या 40 से ज्यादा नहीं हो सकती। दिसानायके ने सरकार की लागत को कम करने के लिए कैबिनेट को छोटा रखा है।

तीसरी महिला प्रधानमंत्री बनीं हरिनी अमरसूर्या अमरसूर्या श्रीलंका में प्रधानमंत्री पद पर काबिज होने वाली तीसरी महिला हैं। उनसे पहले सिरिमाओ भंडारनायके (3 बार) और चंद्रिका कुमारतुंगा (1 बार) देश की महिला प्रधानमंत्री रह चुकी हैं। हरिनी अमरसूर्या 2020 में पहली बार सांसद बनी थीं। राजनीति में कदम रखने से पहले अमरसूर्या श्रीलंका ओपन यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थीं।

अमरसूर्या का जन्म एक मिडिल क्लास फैमिली में हुआ था। उनके पिता एक चाय बागान के मालिक थे। साल 1972 में श्रीलंका में भूमि सुधार कानून लागू हुआ। इसमें अमरसूर्या के पिता का चाय बागान सरकार ने ले लिया। इसके बाद वे गाले से कोलंबो आकर बस गए।

4 साल तक भारत में पढ़ाई की, इम्तियाज अली और अर्नब गोस्वामी बैचमेट थे साल 1988-89 में श्रीलंका में तमिल आंदोलन को लेकर हालात हिंसक हो गए। इस दौरान स्कूल, कॉलेज बंद हो गए। ऐसे में हरिनी अमरसूर्या आगे की पढ़ाई के लिए भारत आ गईं। यहां उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज में दाखिला लिया। 1991 से 1994 तक उन्होंने सोशियोलॉजी की पढ़ाई की। इस दौरान चर्चित फिल्ममेकर इम्तियाज अली और पत्रकार अर्नब गोस्वामी उनके बैचमेट थे।

भारत से लौटने के बाद अमरसूर्या स्वास्थ्य से जुड़े NGO से जुड़ गईं, वहां वह सुनामी से प्रभावित हुए बच्चों की मदद करती थीं। इसके कुछ सालों बाद वह PhD की पढ़ाई के लिए ऑस्ट्रेलिया चली गईं। वहां से लौटने के बाद 2011 में एक कॉलेज में प्रोफेसर बनीं।​​​​

अमरसूर्या ​​​​​ने साल 2015 में सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों में हिस्सा लिया। इसी दौरान उनका दिसानायके से संपर्क हुआ। वह साल 2019 में उनकी पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना से जुड़ गईं। साल 2020 में वह संसदीय चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बनीं।

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