डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर भारतीय रेलवे का गहना’: अश्विनी वैष्णव ने बताया कैसे सस्ती हुई माल ढुलाई

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नई दिल्ली,16 नवम्बर। भारतीय रेलवे की महत्त्वाकांक्षी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) परियोजना को ‘भारतीय रेलवे का गहना’ बताते हुए केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे देश के आर्थिक विकास में एक क्रांतिकारी कदम करार दिया। इस परियोजना का उद्देश्य माल ढुलाई को तेज, सस्ता और अधिक कुशल बनाना है। मंत्री ने कहा कि डीएफसी के माध्यम से न केवल माल ढुलाई की लागत में कमी आई है, बल्कि उद्योगों और व्यापारियों को भी बड़ा फायदा हो रहा है।

क्या है डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर?
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर भारतीय रेलवे की एक विशेष परियोजना है, जिसके तहत मालगाड़ियों के लिए अलग से समर्पित पटरियां बनाई गई हैं।

पश्चिमी डीएफसी: यह कॉरिडोर दादरी (उत्तर प्रदेश) से मुंबई तक फैला है और मुख्यतः कंटेनर और औद्योगिक सामान के परिवहन पर केंद्रित है।
पूर्वी डीएफसी: यह पंजाब के लुधियाना से पश्चिम बंगाल के दानकुनी तक फैला है और मुख्यतः कोयला, इस्पात और खनिज पदार्थों के परिवहन के लिए बनाया गया है।
लाभ: इन कॉरिडोरों का उपयोग केवल मालगाड़ियों के लिए किया जाता है, जिससे यात्री गाड़ियों की गति और समयबद्धता भी बेहतर हुई है।
माल ढुलाई हुई सस्ती
अश्विनी वैष्णव ने बताया कि डीएफसी के जरिए माल ढुलाई की लागत में उल्लेखनीय कमी आई है।

तेज रफ्तार: सामान्य रेलवे नेटवर्क पर मालगाड़ियां 25-30 किमी/घंटा की औसत गति से चलती थीं। डीएफसी पर यह गति बढ़कर 70-75 किमी/घंटा हो गई है।
अधिक क्षमता: एक बार में अधिक माल ढुलाई संभव हो रही है, जिससे ऑपरेशनल खर्च में कमी आई है।
कम कार्बन उत्सर्जन: डीएफसी का उपयोग पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है, क्योंकि यह कम ऊर्जा खपत और हरित परिवहन को बढ़ावा देता है।
उद्योगों को कैसे हो रहा फायदा?
डीएफसी परियोजना ने विभिन्न उद्योगों को नई ऊर्जा दी है।

तेजी से डिलीवरी: वस्त्र, खाद्यान्न, इस्पात और फार्मा जैसे उद्योगों को उनके सामान की तेजी से डिलीवरी हो रही है।
आयात-निर्यात को बढ़ावा: कंटेनर गाड़ियों की रफ्तार और दक्षता में सुधार से भारत का आयात-निर्यात आसान और सस्ता हो गया है।
लॉजिस्टिक्स का सुदृढ़ीकरण: डीएफसी ने लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है, जिससे भारत ग्लोबल सप्लाई चेन में प्रतिस्पर्धा कर रहा है।
भविष्य की योजनाएं
रेल मंत्री ने यह भी कहा कि डीएफसी नेटवर्क का विस्तार किया जाएगा।

दक्षिण डीएफसी: दक्षिण भारत को जोड़ने के लिए एक नई फ्रेट कॉरिडोर योजना पर विचार हो रहा है।
डिजिटलीकरण: मालगाड़ियों की ट्रैकिंग और प्रबंधन के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाया जाएगा।
निजी निवेश: परियोजना में निजी भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे रेलवे को और अधिक वित्तीय संसाधन मिल सकें।
निष्कर्ष
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर भारतीय रेलवे और देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो रहा है। माल ढुलाई की लागत में कमी, तेज गति और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन ने इसे भारतीय उद्योगों के लिए वरदान बना दिया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के नेतृत्व में इस परियोजना का विस्तार और प्रबंधन भारत को लॉजिस्टिक्स और परिवहन के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दिलाने की ओर अग्रसर है।

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