नई दिल्ली,16 नवम्बर। महाराष्ट्र में राजनीतिक माहौल गरमाने के बीच, राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक विवादास्पद बयान देकर विपक्षी महा विकास आघाड़ी (एमवीए) पर तीखा हमला किया। फडणवीस ने कहा कि ‘वोट-जिहाद’ को रोकने के लिए भाजपा और उसके समर्थकों को ‘मतों के धर्म-युद्ध’ में उतरना होगा। उनके इस बयान ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है और विपक्ष ने इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास करार दिया है।
फडणवीस का बयान
देवेंद्र फडणवीस ने अपने बयान में एमवीए के नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा:
“हम देख रहे हैं कि कैसे वोट-बैंक की राजनीति को ‘वोट-जिहाद’ में बदलने की कोशिश की जा रही है। भाजपा को इस चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा और इसके लिए एक धर्म-युद्ध की तरह लड़ाई लड़नी होगी।”
एमवीए पर आरोप
फडणवीस ने महा विकास आघाड़ी पर गंभीर आरोप लगाए।
धार्मिक ध्रुवीकरण: फडणवीस ने एमवीए पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया।
अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण: उन्होंने कहा कि एमवीए, विशेष रूप से शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और एनसीपी, अल्पसंख्यकों को रिझाने के लिए देश को बांटने की राजनीति कर रही हैं।
विकास बनाम विभाजन: फडणवीस ने भाजपा को विकास और प्रगति की राजनीति करने वाली पार्टी बताया और एमवीए को विभाजनकारी ताकत कहा।
विपक्ष ने किया पलटवार
फडणवीस के इस बयान पर एमवीए के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
शिवसेना (यूबीटी): उद्धव ठाकरे ने कहा कि फडणवीस का बयान भाजपा की हताशा को दर्शाता है। उन्होंने इसे समाज को बांटने की साजिश बताया।
कांग्रेस: कांग्रेस नेता नाना पटोले ने इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास करार दिया और कहा कि भाजपा को अपनी विफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए ऐसे मुद्दों की जरूरत पड़ती है।
एनसीपी: एनसीपी की ओर से शरद पवार ने कहा कि यह बयान महाराष्ट्र की संस्कृति के खिलाफ है और राज्य के लोगों को बांटने की कोशिश है।
सियासी महत्व
फडणवीस का यह बयान महाराष्ट्र में आगामी चुनावों से पहले राजनीतिक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
हिंदू वोट बैंक को मजबूत करना: भाजपा हिंदू मतदाताओं को एकजुट कर एमवीए के संभावित गठबंधन के खिलाफ रणनीति तैयार कर रही है।
ध्रुवीकरण की राजनीति: इस बयान को चुनावों से पहले धार्मिक ध्रुवीकरण के एक बड़े प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
विपक्ष को घेरने की कोशिश: भाजपा, एमवीए को अल्पसंख्यक-समर्थक और तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले दलों के रूप में दिखाने की कोशिश कर रही है।
जनता की प्रतिक्रिया
फडणवीस के बयान पर जनता में मिली-जुली प्रतिक्रिया है। कुछ लोग इसे भाजपा का मजबूत राजनीतिक कदम मान रहे हैं, तो कुछ इसे सांप्रदायिक सौहार्द्र के खिलाफ बता रहे हैं।
निष्कर्ष
देवेंद्र फडणवीस का ‘वोट-जिहाद’ वाला बयान महाराष्ट्र की राजनीति में नई बहस को जन्म दे चुका है। भाजपा और एमवीए के बीच चुनावी जंग तेज होती दिख रही है। जहां भाजपा इसे अपनी वैचारिक लड़ाई बता रही है, वहीं विपक्ष इसे समाज को बांटने की साजिश मान रहा है। आगामी चुनावों में यह मुद्दा कितना असर डालता है, यह देखना दिलचस्प होगा।