नई दिल्ली,8 नवम्बर। राजीव गांधी ने 1988 में सलमान रुश्दी की विवादास्पद किताब ‘द सैटेनिक वर्सेस’ के इम्पोर्ट पर बैन लगाया था। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। अब कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई बंद कर दी है।
कोर्ट ने कहा कि अफसर बैन को लेकर कोई भी नोटिफिकेशन पेश करने में नाकाम रहे। इससे माना जा सकता है कि बैन का आदेश मौजूद ही नहीं है। जस्टिस रेखा पल्ली और जस्टिस सौरभ बनर्जी की बेंच ने यह फैसला 5 नवंबर को सुनाया था।
जानिए ये मामला कैसे कोर्ट पहुंचा किताब के इम्पोर्ट को लेकर 2019 में संदीपन खान नाम के शख्स ने एक याचिका लगाई थी। संदीपन ने कहा, उन्होंने ‘द सैटेनिक वर्सेज’ किताब मंगवाई थी, लेकिन कस्टम विभाग की तरफ से 36 साल पहले जारी किए गए नोटिफिकेशन के चलते बुक इम्पोर्ट नहीं हो सकी। हालांकि, नोटिफिकेशन न तो किसी आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध था और न ही किसी संबंधित अधिकारी के पास इससे जुड़े दस्तावेज मौजूद थे।
अपनी इस किताब में एक काल्पनिक किस्सा लिखा है। किस्सा कुछ इस तरह है कि दो फिल्म कलाकार हवाई जहाज के जरिए मुंबई से लंदन जा रहे हैं। इनमें एक फिल्मी दुनिया का सुपरस्टार जिबरील है और दूसरा ‘वॉयस ओवर आर्टिस्ट’ सलादीन है।
बीच रास्ते में इस प्लेन को कोई सिख आतंकी हाइजैक कर लेता है। इसके बाद विमान अटलांटिक महासागर के ऊपर से गुजर रहा होता है, तभी पैसेंजर से आतंकियों की बहस होने लगती है। गुस्से में आतंकवादी विमान के अंदर बम विस्फोट कर देता है।
इस घटना में जिबरील और सलादीन दोनों समुद्र में गिरकर बच जाते हैं। इसके बाद दोनों की जिंदगी बदल जाती है। फिर एक रोज एक धर्म विशेष के संस्थापक के जीवन से जुड़े कुछ किस्से पागलपन की ओर जा रहे जिबरील के सपने में आता है। इसके बाद वह उस धर्म के इतिहास को एक बार फिर नई तरह से स्थापित करने की सोचता है। इसके आगे रुश्दी ने अपने कहानी के किरदार जिबरील और सलादीन के किस्से को कुछ इस अंदाज में लिखा है कि इसे ईशनिंदा माना गया।