मुंबई,2 नवम्बर। महाराष्ट्र की राजनीति में बीते वर्षों में कई बड़े उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। खासकर शिवसेना में विभाजन और सत्ता परिवर्तन ने राजनीति को हिला कर रख दिया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में हुए बंटवारे पर हाल ही में अपनी राय जाहिर की और बताया कि आखिर क्यों उन्होंने शिवसेना को छोड़कर भाजपा का समर्थन किया।
शिंदे ने कहा कि उन्हें शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के विचारों और सिद्धांतों से प्रेरणा मिली थी। उनका कहना था कि बाला साहेब हमेशा से कांग्रेस का विरोध करते थे और चाहते थे कि शिवसेना कांग्रेस से दूर रहे। बाला साहेब के लिए हिंदुत्व प्राथमिकता था और उन्होंने हमेशा कांग्रेस की विचारधारा से दूरी बनाए रखी।
शिंदे ने बताया कि बाला साहेब ठाकरे ने कभी कांग्रेस के साथ जाने का समर्थन नहीं किया था। उनका मानना था कि शिवसेना को हमेशा हिंदुत्व के मार्ग पर चलते हुए अपने सिद्धांतों पर अडिग रहना चाहिए। लेकिन उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन कर महा विकास आघाड़ी की सरकार बनाई।
शिंदे के अनुसार, शिवसेना का कांग्रेस के साथ गठबंधन उनके लिए अस्वीकार्य था क्योंकि यह बाला साहेब के विचारों के खिलाफ था। उन्होंने कहा कि शिवसेना का कांग्रेस के साथ गठबंधन सत्ता के लिए सिद्धांतों से समझौता था। शिंदे का कहना है कि जब उन्होंने देखा कि उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद के लिए शिवसेना के मूल सिद्धांतों से समझौता किया, तो उन्हें लगा कि शिवसेना अपने मार्ग से भटक रही है।
इसके बाद, एकनाथ शिंदे ने अपनी अगुवाई में शिवसेना के कई विधायकों के साथ बगावत की और भाजपा के समर्थन से नई सरकार बनाई। शिंदे का मानना है कि यह तख्तापलट बाला साहेब के विचारों को जीवित रखने और शिवसेना को उसकी पुरानी राह पर लाने के लिए जरूरी था।
शिंदे ने यह भी कहा कि उनकी लड़ाई व्यक्तिगत नहीं थी बल्कि सिद्धांतों की थी। उनका कहना है कि आज उनकी सरकार बाला साहेब के विचारों के अनुसार काम कर रही है और हिंदुत्व के मार्ग पर आगे बढ़ रही है।