नई दिल्ली,24 अक्टूबर। — प्रख्यात बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भारत सरकार का उनके निवास परमिट को बढ़ाने के लिए आभार व्यक्त किया है। तस्लीमा, जो अपने विवादित लेखन के कारण बांग्लादेश से निर्वासित हैं, पिछले कई वर्षों से भारत में रह रही हैं। गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा उनके निवास परमिट को फिर से बढ़ाए जाने के बाद उन्होंने ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया दी और भारत सरकार को धन्यवाद कहा।
तस्लीमा नसरीन का ट्वीट
तस्लीमा नसरीन ने ट्वीट करते हुए लिखा, “भारत सरकार, खासकर गृह मंत्री अमित शाह जी का मेरे निवास परमिट को बढ़ाने के लिए तहे दिल से शुक्रिया। यह मेरे लिए भारत में शांति और सुरक्षा के साथ रहने का एक बड़ा आश्वासन है।” उनके इस ट्वीट से स्पष्ट होता है कि भारत उनके लिए एक सुरक्षित ठिकाना है, जहाँ वह अपने लेखन और विचारों को बिना किसी डर के व्यक्त कर सकती हैं।
निर्वासन और संघर्ष की कहानी
तस्लीमा नसरीन अपने लेखन में महिलाओं के अधिकारों, धार्मिक कट्टरता और सामाजिक मुद्दों पर बेबाकी से लिखने के लिए जानी जाती हैं। उनके उपन्यास और लेख अक्सर इस्लामिक कट्टरपंथियों के निशाने पर रहे हैं, जिसके कारण उन्हें 1994 में बांग्लादेश से निर्वासित कर दिया गया। तब से वह स्वीडन, यूरोप और भारत में निर्वासन का जीवन जी रही हैं। भारत में उनका अधिक समय कोलकाता और दिल्ली में बीता है।
हालांकि, तस्लीमा का कोलकाता से भी लगाव रहा है, लेकिन 2007 में पश्चिम बंगाल में हुए सांप्रदायिक तनाव के बाद उन्हें कोलकाता से भी बाहर भेज दिया गया था। उसके बाद से वह भारत के विभिन्न शहरों में रह रही हैं, और भारत सरकार द्वारा उनके निवास परमिट को समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है।
भारत से तस्लीमा का संबंध
भारत के प्रति तस्लीमा नसरीन की गहरी भावनाएं रही हैं। उन्होंने कई बार सार्वजनिक रूप से कहा है कि वह भारत को अपना दूसरा घर मानती हैं। उनके लेखन का एक बड़ा हिस्सा भारत में ही प्रकाशित हुआ है, और भारतीय पाठकों के बीच उनकी रचनाएं काफी लोकप्रिय हैं। भारत की सांस्कृतिक विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति उनका आकर्षण स्पष्ट है, और भारत सरकार की ओर से उन्हें लगातार निवास परमिट प्रदान किया जाना उनके प्रति एक महत्वपूर्ण समर्थन के रूप में देखा जाता है।
विवादों के बीच साहित्यिक योगदान
तस्लीमा नसरीन अपने बेबाक और साहसी लेखन के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों, लैंगिक समानता और धार्मिक कट्टरता के खिलाफ खुलकर लिखा है। उनकी प्रमुख कृतियों में “लज्जा,” “द्विखंडिता,” और “निःश्वास” शामिल हैं, जो उनके संघर्ष और उनके अनुभवों को बयां करती हैं।
हालांकि तस्लीमा का लेखन कई बार विवादों में रहा है, लेकिन उन्होंने कभी अपने विचारों से समझौता नहीं किया। कट्टरपंथी विरोधों के बावजूद, वह महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए लगातार आवाज उठाती रही हैं।
निष्कर्ष
तस्लीमा नसरीन का निवास परमिट बढ़ाना यह दर्शाता है कि भारत अपनी परंपराओं और मूल्यों के अनुसार उन लोगों को समर्थन देता है, जो स्वतंत्रता, समानता, और मानवाधिकारों की बात करते हैं। तस्लीमा नसरीन, जो निर्वासन के कठिन जीवन को झेल रही हैं, के लिए भारत एक ऐसा स्थान बना हुआ है जहाँ वे स्वतंत्र रूप से जी और लिख सकती हैं। गृह मंत्री अमित शाह और भारत सरकार का उन्हें समर्थन देना उनके संघर्ष के प्रति एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है, और यह तस्लीमा की नई उम्मीदों और भारतीय समाज के प्रति उनके प्रेम को और मजबूत करता है।