चीन का महा-युद्धाभ्यास: जिनपिंग ने सैनिकों से कहा, ताइवान के खिलाफ जंग के लिए तैयार रहो

Date:

चीन ,21 अक्टूबर। चीन और ताइवान के बीच बढ़ते तनाव के बीच चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाल ही में अपने सैनिकों को ताइवान के खिलाफ युद्ध के लिए तैयार रहने का आदेश दिया है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब चीन ने एक विशाल सैन्य युद्धाभ्यास शुरू किया है, जिसका उद्देश्य ताइवान पर दबाव बनाना और अपनी ताकत का प्रदर्शन करना है। इस युद्धाभ्यास के माध्यम से चीन यह स्पष्ट संदेश दे रहा है कि वह ताइवान पर अपना दावा किसी भी कीमत पर छोड़ने के लिए तैयार नहीं है।

ताइवान पर चीन का दावा
चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और उसे चीन का “अलग हुआ प्रांत” कहता है। हालांकि, ताइवान एक लोकतांत्रिक रूप से संचालित स्वतंत्र क्षेत्र है, जो खुद को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में देखता है। चीन ने कभी भी ताइवान की स्वतंत्रता को मान्यता नहीं दी और समय-समय पर उसे बलपूर्वक अपने नियंत्रण में लाने की धमकी दी है। हाल के वर्षों में, ताइवान के प्रति चीन की आक्रामकता और भी बढ़ गई है, खासकर जब ताइवान के संबंध अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ गहरे हो रहे हैं।

शी जिनपिंग का संदेश
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा है कि उन्हें “युद्ध के लिए तैयार” रहना चाहिए और ताइवान को लेकर किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना करने के लिए तत्पर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि ताइवान का एकीकरण एक राष्ट्रीय उद्देश्य है और इसके लिए अगर युद्ध की भी आवश्यकता पड़ी, तो चीन पीछे नहीं हटेगा। इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच चिंताओं को और बढ़ा दिया है, क्योंकि इससे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता को खतरा हो सकता है।

महा-युद्धाभ्यास का उद्देश्य
चीन का यह महा-युद्धाभ्यास व्यापक स्तर पर समुद्री और हवाई अभ्यासों को शामिल करता है, जिसमें आधुनिक तकनीक और हथियारों का प्रदर्शन किया जा रहा है। युद्धाभ्यास ताइवान के आसपास के समुद्री क्षेत्रों में हो रहा है, जिससे ताइवान के लिए एक स्पष्ट चेतावनी भेजी जा रही है। इस अभ्यास में चीन की नौसेना, वायुसेना और मिसाइल बल शामिल हैं, जो ताइवान के किसी भी संभावित प्रतिरोध का मुकाबला करने के लिए तैयार दिख रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
चीन के इस आक्रामक कदम पर अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने अपनी चिंता व्यक्त की है। अमेरिका ने ताइवान को हर संभव समर्थन देने का वादा किया है और कहा है कि ताइवान की स्वतंत्रता और संप्रभुता को किसी भी तरह से खतरे में नहीं आने दिया जाएगा। अमेरिका ने पहले ही ताइवान को सैन्य सहायता और हथियार प्रदान किए हैं, जिससे चीन और अधिक नाराज हो गया है।

वहीं, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अन्य एशियाई देश भी चीन की इस आक्रामकता पर नजर रख रहे हैं। अगर चीन और ताइवान के बीच युद्ध की स्थिति बनती है, तो यह पूरा एशिया-प्रशांत क्षेत्र अस्थिर हो सकता है।

निष्कर्ष
शी जिनपिंग द्वारा दिए गए हालिया बयान और चीन के युद्धाभ्यास ने वैश्विक समुदाय में तनाव पैदा कर दिया है। ताइवान के प्रति चीन की यह आक्रामक नीति क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्थिरता के लिए एक गंभीर चुनौती है। जबकि चीन ताइवान को बलपूर्वक अपने अधीन लाने की धमकी दे रहा है, ताइवान और उसके समर्थक देश इस चुनौती का डटकर सामना करने के लिए तैयार हैं। अब देखना होगा कि इस तनावपूर्ण स्थिति में आगे क्या घटनाक्रम होता है, और क्या दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति पैदा होती है या कूटनीति के जरिए कोई समाधान निकलता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

जिंका लॉजिस्टिक्स सॉल्यूशंस का IPO 13 नवंबर से ओपन होगा

नई दिल्ली,जिंका लॉजिस्टिक्स सॉल्यूशंस लिमिटेड का इनिशियल पब्लिक ऑफर,...

जेलेंस्की के कॉल को ट्रंप ने स्पीकर पर डाला! साथ बैठे थे एलन मस्क, 7 मिनट के कॉल में क्या हुआ?

नई दिल्ली,9 नवम्बर। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और...

महीने भर बाद PM मोदी ने रतन टाटा को लेकर लिखी एक-एक बात, ‘आपको भूल नहीं पाएंगे…’

नई दिल्ली,9 नवम्बर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्योगपति रतन टाटा...