पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव: “जाति के नाम पर नफरत फैलाने वालों के लिए बिहार में कोई जगह नहीं”

Date:

बिहार ,19 अक्टूबर। पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव ने हाल ही में एक बयान देकर बिहार की राजनीति में जातिवाद के मुद्दे पर अपनी स्पष्ट राय रखी है। उन्होंने कहा कि जो लोग जाति के नाम पर नफरत फैलाकर राजनीति करना चाहते हैं, उनके लिए बिहार में कोई जगह नहीं है। पप्पू यादव ने इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि बिहार को आगे बढ़ाने के लिए जातिगत भेदभाव और नफरत की राजनीति से ऊपर उठना जरूरी है। उनका मानना है कि राजनीति को जाति की संकीर्ण सोच से हटाकर विकास और समावेशिता पर केंद्रित करना चाहिए।

जातिवाद के खिलाफ पप्पू यादव का रुख
पप्पू यादव ने साफ शब्दों में कहा कि बिहार की जनता अब जाति की राजनीति से तंग आ चुकी है। उन्होंने कहा, “जो लोग जाति को गाली देकर राजनीति करना चाहते हैं, वे राज्य के विकास को पीछे धकेल रहे हैं।” उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब बिहार में जातिगत सर्वेक्षण और विभिन्न दलों द्वारा जाति के नाम पर वोट बैंक को साधने की कोशिशें हो रही हैं।

पप्पू यादव ने अपने बयान में इस बात पर जोर दिया कि जातिवाद की राजनीति ने बिहार की तरक्की को बाधित किया है। उन्होंने कहा कि बिहार को विकास की राजनीति की जरूरत है, जहां हर जाति और धर्म के लोगों को समान अवसर मिले और एक समृद्ध समाज का निर्माण हो सके। यादव ने यह भी कहा कि जातिगत पहचान के आधार पर किसी भी व्यक्ति या समुदाय को नीचा दिखाना न केवल असंवैधानिक है, बल्कि सामाजिक एकता के लिए भी खतरनाक है।

विकास की राजनीति पर जोर
सांसद पप्पू यादव ने अपने राजनीतिक करियर में हमेशा सामाजिक न्याय और विकास की बात की है। उनका कहना है कि राजनीति का उद्देश्य लोगों के जीवन को बेहतर बनाना होना चाहिए, न कि उन्हें जाति के नाम पर बांटना। उन्होंने कहा, “बिहार की असली पहचान उसकी संस्कृति, भाईचारा और मेहनतकश जनता से है, न कि जातिगत विभाजनों से।” यादव ने विकास और शिक्षा को अपने एजेंडे का केंद्र बनाने की बात कही और सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे जातिवाद छोड़कर बिहार के विकास पर ध्यान दें।

जातिगत सर्वेक्षण पर प्रतिक्रिया
हाल ही में बिहार में जातिगत सर्वेक्षण को लेकर काफी बहस छिड़ी हुई है। कुछ राजनीतिक दल इसे सामाजिक न्याय की दिशा में एक कदम बता रहे हैं, तो कुछ इसे जाति आधारित विभाजन का कारण मान रहे हैं। पप्पू यादव ने इस मुद्दे पर संतुलित रुख अपनाते हुए कहा कि जातिगत सर्वेक्षण को विकास योजनाओं और नीतियों में सुधार के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए, न कि राजनीतिक स्वार्थ साधने के लिए। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे सर्वेक्षणों का उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों की स्थिति में सुधार करना होना चाहिए, न कि समाज में नफरत फैलाना।

बिहार की राजनीति में नई दिशा की जरूरत
पप्पू यादव के बयान से यह स्पष्ट है कि वे बिहार की राजनीति में एक नई दिशा की पैरवी कर रहे हैं। उनका कहना है कि बिहार में राजनीति को जाति और धर्म से ऊपर उठाकर विकास, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी जरूरतों पर केंद्रित करना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि बिहार को जाति की संकीर्ण राजनीति से बाहर निकालने का समय आ गया है, ताकि सभी समुदायों को एक साथ लेकर राज्य को तरक्की के रास्ते पर ले जाया जा सके।

निष्कर्ष
सांसद पप्पू यादव का यह बयान बिहार की राजनीति में जातिवाद पर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। जाति के नाम पर नफरत फैलाने वालों के खिलाफ उनका कड़ा रुख यह दर्शाता है कि वे विकास और सामाजिक समरसता के पक्षधर हैं। उनके अनुसार, बिहार में जाति की राजनीति से ऊपर उठकर सभी वर्गों को एक साथ लेकर चलने की जरूरत है, ताकि राज्य को एक नई दिशा दी जा सके। पप्पू यादव का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब बिहार में जातिवाद की राजनीति अपने चरम पर है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि इसका असर राज्य की राजनीति पर कैसे पड़ता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

जिंका लॉजिस्टिक्स सॉल्यूशंस का IPO 13 नवंबर से ओपन होगा

नई दिल्ली,जिंका लॉजिस्टिक्स सॉल्यूशंस लिमिटेड का इनिशियल पब्लिक ऑफर,...

जेलेंस्की के कॉल को ट्रंप ने स्पीकर पर डाला! साथ बैठे थे एलन मस्क, 7 मिनट के कॉल में क्या हुआ?

नई दिल्ली,9 नवम्बर। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और...

महीने भर बाद PM मोदी ने रतन टाटा को लेकर लिखी एक-एक बात, ‘आपको भूल नहीं पाएंगे…’

नई दिल्ली,9 नवम्बर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्योगपति रतन टाटा...