वाल्मीकि संस्कृत के प्रथम कवि थे: रणवीर सिंह सोलंकी
नई दिल्ली। 17 अक्टूबर 2024। महर्षि वाल्मीकि जयंती आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है जो 16 अक्टूबर को रात्रि 7 बजकर 40 मिनट पर प्रारंभ होकर 17 अक्टूबर को 4 बजकर 55 मिनट तक रहता है इसीलिए 17 अक्टूबर को बाल्मिकी जयंती पूरे देश में मनाई गई।
द्वारका सेक्टर तीन,मधु विहार सी ब्लॉक,महाराणा प्रताप द्वार के पास स्थित बाल्मिकी मंदिर में वाल्मीकि जयंती धूम धाम से मनाई गई।
लोगों ने पूरी आस्था और विश्वास के साथ महर्षि वाल्मीकि की पूजा अर्चना की । इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में फेडरेशन ऑफ साउथ एंड वेस्ट डिस्ट्रिक्ट वेलफेयर फोरम के चेयरमैन एवं मधु विहार रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान रणबीर सिंह सोलंकी ने मंदिर में पूजा अर्चना की और उपस्थित भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि महर्षि वाल्मीकि हमेशा से लोगों के पूज्य रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म के सबसे महत्व पूर्ण काव्य रामायण की रचना संस्कृत में महा कवि वाल्मीकि ने की है। कहा जाता है कि इसीलिए वाल्मीकि को प्रथम कवि कहा जाता है। वाल्मीकि के जीवन पर प्रकाश डालते हुए सोलंकी ने कहा कि वाल्मीकि का नाम रत्नाकर था और ये डाकू थे ।जंगल में ये राहगीरों को लूट कर अपने परिवार का भरण पोषण करते थे।एक दिन इन्होंने महर्षि नारद को लूट लिया।नारद ने इन्हें समझाया और इन्हें जीवन का नया मार्ग दिखलाया।अपना पाप स्वीकार कर इन्होंने घोर तपस्या की। इनके शरीर पर दीमकों ने अपना घोंसला बना लिया जिससे इनका नाम वाल्मीकि पड़ा।
आगे चलकर वाल्मीकि बहुत बड़े कवि एवं रचनाकार हो गए तथा ब्रह्मा जी की प्रेरणा से इन्होंने रामायण की रचना की जो आज भी मूल रामायण के रूप में जाना जाता है।
इस अवसर पर मन्दिर कमेटी के प्रधान जितेन्द्र सिंह (बंटी ), संरक्षक मदन भाई, मेम्बर सरदार प्रेम प्रभाकर, राम यादव, सुरेश यादव, नीरजकनौजिया, फौजीभाई, डॉक्टरसुनील नवीन(गंजा) टोनी, रामवीर ,संतोष ,सनी ,अध्यक्ष कुलदीप कुमार, विनोद गोलू उपस्थित थे।