नई दिल्ली,16 अक्टूबर। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की हालिया बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सदस्य देशों के बीच सहयोग और समन्वय के लिए परस्पर सम्मान और संप्रभु समानता के सिद्धांतों पर जोर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि संगठन के सदस्य देश एक दूसरे का सम्मान करेंगे और संप्रभुता को समान रूप से महत्व देंगे, तो संगठन की मजबूती और सहयोग बढ़ेगा। जयशंकर का यह बयान ऐसे समय में आया है जब वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव और विभिन्न देशों के बीच बढ़ती असहमति के कारण अंतरराष्ट्रीय सहयोग में चुनौतियां देखी जा रही हैं।
परस्पर सम्मान और संप्रभुता की अहमियत
जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा कि SCO जैसे बहुपक्षीय संगठनों में सफलता के लिए जरूरी है कि सभी सदस्य देश एक-दूसरे की संप्रभुता का सम्मान करें और उनके अधिकारों को समान रूप से महत्व दें। उन्होंने कहा, “यदि हम परस्पर सम्मान और संप्रभु समानता के आधार पर सहयोग करेंगे, तो हमारा संगठन और भी मजबूत बनेगा।”
यह बयान खासकर उन चुनौतियों को संबोधित करता है, जहां कई सदस्य देश एक-दूसरे के साथ भौगोलिक और राजनीतिक मुद्दों पर सहमति नहीं बना पाते हैं। ऐसे में जयशंकर का यह संदेश SCO के सदस्य देशों को सहयोग और शांतिपूर्ण समन्वय की दिशा में एक स्पष्ट संकेत देता है।
सभी देशों का कानूनों का पालन करना आवश्यक
एस जयशंकर ने यह भी कहा कि SCO के सभी सदस्य देशों को एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप से बचना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करना चाहिए। उन्होंने बताया कि SCO जैसे संगठनों की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि सदस्य देश एक-दूसरे के हितों का सम्मान करें और किसी भी प्रकार के एकतरफा कदम से बचें, जो दूसरों के हितों को नुकसान पहुंचा सकता है। जयशंकर ने इसे एक मजबूत संगठन के लिए बुनियादी सिद्धांत बताया।
वैश्विक चुनौतियों का मुकाबला करने की अपील
एस. जयशंकर ने SCO के मंच से वैश्विक चुनौतियों, विशेष रूप से आतंकवाद, कट्टरपंथ, जलवायु परिवर्तन, और कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी से निपटने के लिए एकजुट होकर काम करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों का सामना करने के लिए संगठन के सदस्य देशों के बीच सामूहिक प्रयास और समन्वय की आवश्यकता है। जयशंकर ने कहा, “आतंकवाद और कट्टरपंथ जैसी चुनौतियां किसी एक देश तक सीमित नहीं हैं। इनके खिलाफ लड़ाई में हमें एकजुट होकर काम करना होगा।”
भारत की भूमिका
एस. जयशंकर ने अपने संबोधन में भारत की भूमिका और योगदान पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारत अपने विकासशील अनुभव और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सुधार के माध्यम से SCO के सदस्य देशों के साथ अपने अनुभव साझा करने के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत, SCO के ढांचे के तहत व्यापार, निवेश और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
भारत ने SCO के मंच पर अपनी सक्रिय भूमिका निभाते हुए विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने का प्रयास किया है, जिसमें आर्थिक विकास, क्षेत्रीय सुरक्षा, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान शामिल हैं।
निष्कर्ष
SCO समिट में एस. जयशंकर का संदेश साफ था कि SCO के सदस्य देशों के बीच परस्पर सम्मान और संप्रभु समानता के सिद्धांतों का पालन करना न केवल संगठन की सफलता के लिए जरूरी है, बल्कि यह वैश्विक चुनौतियों से निपटने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उनका यह संदेश अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए एक मजबूत आधार बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है, जिससे संगठन और इसके सदस्य देश भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए बेहतर तरीके से तैयार होंगे।