नई दिल्ली,15 अक्टूबर।झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने झारखंड चुनाव की तारीखों की घोषणा से ठीक पहले चुनाव आयोग पर बड़ा आरोप लगाकर राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। जेएमएम ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग पर सत्तारूढ़ दल के दबाव में काम करने का प्रयास हो रहा है, और राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने को लेकर पार्टी को गंभीर चिंताएँ हैं।
जेएमएम का आरोप
झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेताओं ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया है कि चुनाव की तारीखों का ऐलान सरकार की सहूलियत और रणनीति को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। जेएमएम ने कहा है कि चुनाव आयोग को निष्पक्ष और स्वतंत्र रहकर काम करना चाहिए, लेकिन मौजूदा हालात में यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि आयोग बिना किसी दबाव के काम कर रहा है।
पार्टी ने इस बात पर भी चिंता जताई कि चुनाव की तारीखों को जानबूझकर सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों से मेल खाते हुए तय किया जा रहा है, ताकि सत्तारूढ़ दल को चुनाव में फायदा हो। जेएमएम ने कहा है कि अगर चुनाव आयोग निष्पक्षता से काम नहीं करता है, तो जनता का विश्वास चुनाव प्रक्रिया पर से उठ सकता है।
चुनाव आयोग का जवाब
चुनाव आयोग की ओर से अब तक इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। चुनाव आयोग द्वारा झारखंड में चुनाव की तारीखों की घोषणा आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस में की जाएगी, जिसके बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।
चुनाव आयोग के सूत्रों ने यह भी कहा है कि सभी राजनीतिक दलों को निष्पक्षता और पारदर्शिता पर भरोसा होना चाहिए, और किसी भी तरह की गड़बड़ी या पक्षपात की बात पूरी तरह से बेबुनियाद है। आयोग का कहना है कि चुनाव की तारीखों का निर्धारण सभी क्षेत्रों की परिस्थितियों और प्रशासनिक तैयारियों को ध्यान में रखकर किया जाता है।
झारखंड में चुनावी माहौल
झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो चुकी है। सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और कांग्रेस गठबंधन एक तरफ जहां अपनी सरकार की उपलब्धियों को जनता के बीच लेकर जा रहे हैं, वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अन्य विपक्षी दल राज्य में सत्ता वापसी के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं।
जेएमएम और कांग्रेस गठबंधन का मुख्य जोर जनकल्याणकारी योजनाओं पर रहेगा, जबकि विपक्षी दल सरकार पर भ्रष्टाचार, प्रशासनिक ढिलाई और विकास के मुद्दों को लेकर सवाल उठा रहे हैं। चुनाव के दौरान आदिवासी मतदाताओं और झारखंड के ग्रामीण इलाकों में राजनीतिक समीकरण महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
निष्कर्ष
चुनाव आयोग पर झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा लगाए गए आरोपों ने राज्य के आगामी चुनावों को लेकर पहले से ही गर्माए हुए राजनीतिक माहौल में नई चिंगारी लगा दी है। चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आयोग और अन्य दल इस विवाद पर क्या रुख अपनाते हैं। चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखना देश के लोकतंत्र के लिए बेहद जरूरी है, और इस दिशा में चुनाव आयोग की भूमिका पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।