नई दिल्ली,15 अक्टूबर। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग को एक याचिका पर नोटिस जारी किया है। याचिका में चुनाव से पहले राजनीतिक दलों की तरफ से किए गए मुफ्त उपहारों के वादों को रिश्वत घोषित करने के निर्देश देने की मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को लंबित मामलों के साथ जोड़ दिया है। याचिकाकर्ता की दलील है कि राजनीतिक दल चुनाव से पहले जो फ्रीबीज का वादा करते हैं, उस पर तत्काल रोक लगे।
फ्रीबीज मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लगाई गई हैं। दो मुख्य याचिकाएं हैं। नई याचिका कर्नाटक के शशांक जे श्रीधर ने दाखिल की है। वहीं 2022 में BJP नेता अश्विनी उपाध्याय फ्रीबीज के खिलाफ एक जनहित याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।
चुनाव आयोग ने कहा था- फ्री स्कीम्स की परिभाषा आप ही तय करें सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान 11 अगस्त को चुनाव आयोग ने कहा था कि फ्रीबीज पर पार्टियां क्या पॉलिसी अपनाती हैं, उसे रेगुलेट करना चुनाव आयोग के अधिकार में नहीं है।
चुनावों से पहले फ्रीबीज का वादा करना या चुनाव के बाद उसे देना राजनीतिक पार्टियों का नीतिगत फैसला होता है। इस बारे में नियम बनाए बिना कोई कार्रवाई करना चुनाव आयोग की शक्तियों का दुरुपयोग करना होगा। कोर्ट ही तय करे कि फ्री स्कीम्स क्या हैं और क्या नहीं। इसके बाद हम इसे लागू करेंगे।
अक्टूबर 2024 : याचिकाकर्ता शशांक जे श्रीधर बोले- फ्रीबीज को रिश्वत माना जाए याचिकाकर्ता शशांक जे श्रीधर के वकील बालाजी श्रीनिवासन ने सोमवार (14 अक्टूबर) को CJI डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच के सामने इस मामले को उठाया था। उन्होंने कहा कि विधानसभा या आम चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों का फ्री योजनाओं का वादा करना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत रिश्वत या वोट के लिए प्रलोभन माना जाए।
जनवरी 2022 : BJP नेता अश्विनी उपाध्याय ने एक जनहित याचिका दाखिल की BJP नेता अश्विनी उपाध्याय फ्रीबीज के खिलाफ एक जनहित याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। अपनी याचिका में उपाध्याय ने चुनावों के दौरान राजनीतिक पार्टियों के वोटर्स से फ्रीबीज या मुफ्त उपहार के वादों पर रोक लगाने की अपील की। इसमें मांग की गई है कि चुनाव आयोग को ऐसी पार्टियां की मान्यता रद्द करनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में अब तक क्या-क्या हुआ? फ्रीबीज मामले की सुनवाई पूर्व चीफ जस्टिस एनवी रमना की अगुआई में तीन सदस्यीय बेंच ने अगस्त 2022 में शुरू की थी। इस बेंच में जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस हिमा कोहली भी थे। बाद में तत्कालीन चीफ जस्टिस यूयू ललित ने सुनवाई की और अब CJI डीवाई चंद्रचूड़ मामले की सुनवाई कर रहे हैं।