नई दिल्ली,3 अक्टूबर। मलखान सिंह, सहारनपुर के थाना ननौता क्षेत्र के फतेहपुर गांव के रहने वाले थे। उनका जन्म 18 जनवरी 1945 को हुआ था, और बचपन से ही उन्होंने कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने गांव और देश की सेवा का सपना देखा। हालांकि, उनकी कहानी एक दुखद मोड़ पर तब आ गई जब वह रहस्यमय तरीके से लापता हो गए। जिस समय मलखान सिंह गुमशुदा हुए, उनकी उम्र महज 24 साल थी, और यह घटना अब भी गांव के लोगों के बीच एक रहस्य बनी हुई है।
मलखान सिंह का लापता होना न सिर्फ उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे गांव के लिए एक गहरा आघात था। उनके माता-पिता और भाई-बहनों ने वर्षों तक उनके लौटने की उम्मीद में इंतजार किया, लेकिन वह कभी वापस नहीं लौटे। गांव वालों की मानें तो मलखान सिंह एक सरल और बहादुर व्यक्तित्व के मालिक थे, जिनकी मेहनत और ईमानदारी के किस्से हर किसी की जुबान पर थे।
1960 के दशक के अंत में, जब मलखान सिंह लापता हुए, तब देश कई राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल से गुजर रहा था। कई लोग उनकी गुमशुदगी को उन परिस्थितियों से जोड़ते हैं, जबकि कुछ मानते हैं कि वह किसी अनजान वजह से कहीं दूर चले गए थे। उनके परिवार ने उनकी तलाश में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद मलखान सिंह का कोई सुराग नहीं मिला।
मलखान सिंह का लापता होना केवल उनके परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे गांव के लिए एक सवाल बन गया था। हर कोई इस बात को लेकर चिंतित था कि आखिर इतने सालों तक मलखान सिंह का कोई पता क्यों नहीं चल पाया। आज भी, फतेहपुर गांव के लोग इस रहस्य के बारे में बात करते हैं और उम्मीद करते हैं कि एक दिन इस गुमशुदगी की गुत्थी सुलझ सकेगी।
मलखान सिंह की यादें आज भी उनके परिवार और गांव के दिलों में जिंदा हैं। उनका साहसी व्यक्तित्व, मेहनत और देशभक्ति लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। उनके परिवार ने उनकी याद में कई धार्मिक और सामाजिक कार्य किए हैं, जिससे गांव में उनकी विरासत जीवित बनी हुई है।
हालांकि मलखान सिंह का लापता होना एक दुखद अध्याय है, लेकिन उनकी कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना कैसे किया जाए। उनके परिवार और गांव ने उनके साहस और बलिदान को कभी नहीं भुलाया, और उनकी गुमशुदगी का रहस्य आज भी लोगों के दिलों में एक सवाल बनकर जीवित है।