इजरायल: लेबनान और ईरान के खिलाफ दो मोर्चों पर जारी संघर्ष

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नई दिल्ली,3 अक्टूबर। इजरायल, जो यहूदियों का एकमात्र देश है, वर्तमान में दो मोर्चों पर संघर्ष का सामना कर रहा है—लेबनान और ईरान के साथ। हाल के दिनों में, ईरान द्वारा इजरायल पर एक बड़ा मिसाइल हमला किया गया, जिससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया। इस हमले ने इजरायल की सुरक्षा को गंभीर रूप से प्रभावित किया और देश की रक्षा क्षमताओं पर प्रश्नचिह्न लगा दिए।

ईरान और इजरायल के बीच का तनाव कोई नया नहीं है। दोनों देशों के बीच दशकों से राजनीतिक और सैन्य संघर्ष चलता आ रहा है, जिसमें इजरायल की नीतियों और ईरान की परमाणु क्षमता को लेकर गहरे मतभेद रहे हैं। इजरायल लंबे समय से ईरान की परमाणु परियोजनाओं को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता रहा है और यही कारण है कि दोनों देशों के बीच सैन्य टकराव अक्सर बढ़ते रहते हैं। ईरान के इस मिसाइल हमले ने इस संघर्ष को और गहरा कर दिया है, और क्षेत्रीय स्थिरता को हिला कर रख दिया है।

दूसरी ओर, लेबनान के साथ भी इजरायल का संघर्ष जारी है। लेबनान स्थित हिज़्बुल्लाह, जो ईरान समर्थित एक सशस्त्र समूह है, इजरायल के लिए एक बड़ा खतरा बना हुआ है। इजरायल और हिज़्बुल्लाह के बीच की लड़ाई कई बार उग्र रूप ले चुकी है, जिससे दोनों देशों की सीमाओं पर हिंसा का सिलसिला चलता रहता है। लेबनान की ओर से आए लगातार हमले इजरायल की उत्तरी सीमा पर खतरे को बढ़ा रहे हैं। हिज़्बुल्लाह की ताकत और उसकी ईरान से निकटता इस संघर्ष को और अधिक जटिल बना देती है।

इन दो मोर्चों पर इजरायल के संघर्ष ने न केवल देश की सुरक्षा को चुनौती दी है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी गंभीर खतरा उत्पन्न किया है। ईरान के मिसाइल हमले के बाद इजरायल ने भी अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया है और जवाबी कार्रवाई के संकेत दिए हैं। इजरायल की सेना और सुरक्षा बल उच्च सतर्कता पर हैं, और देश के नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि किसी भी तरह के हमले का कड़ा जवाब दिया जाएगा।

यह संघर्ष केवल इजरायल, ईरान और लेबनान तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके व्यापक क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव हैं। अमेरिका और अन्य पश्चिमी शक्तियां इजरायल के समर्थन में हैं, जबकि ईरान को रूस और कुछ अन्य देशों का समर्थन प्राप्त है। इस जटिल स्थिति में, एक बड़े युद्ध की संभावना लगातार बढ़ रही है, जिससे मध्य पूर्व की स्थिरता और शांति को भारी खतरा है।

इजरायल के लिए यह संघर्ष अस्तित्व की लड़ाई बन चुकी है, जहां वह अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठा रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या यह तनाव और बढ़ेगा, या फिर किसी कूटनीतिक रास्ते से इस संघर्ष को टाला जा सकेगा।

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