इजरायल ,2 अक्टूबर। इजरायल और ईरान के बीच एक बार फिर तनाव ने खतरनाक मोड़ ले लिया है। अप्रैल के बाद, अब फिर ईरान ने इजरायल पर मिसाइल हमला किया है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति और भी गहरा गई है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे “असहनीय उकसावे” की संज्ञा दी है। उनका कहना है कि इजरायल अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए कोई भी कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा, और ईरान को इस हमले की कड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।
क्या है मामला?
ईरान और इजरायल के बीच लंबे समय से तनाव चला आ रहा है। दोनों देशों के बीच गहरे राजनीतिक और सामरिक मतभेद हैं, और पिछले कुछ वर्षों में यह तनाव कई बार सैन्य टकराव तक पहुँच चुका है। अप्रैल में हुए मिसाइल हमले के बाद, अब एक और मिसाइल हमले ने इस तनाव को और भी बढ़ा दिया है। ईरान का दावा है कि यह हमला उसकी सुरक्षा के लिए उठाया गया कदम था, लेकिन इजरायल इसे एक प्रत्यक्ष आक्रामक कार्रवाई मान रहा है।
नेतन्याहू का कड़ा बयान
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस हमले के बाद स्पष्ट किया कि ईरान द्वारा किया गया यह हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, “इजरायल हमेशा अपने नागरिकों और देश की सुरक्षा के लिए तत्पर है। ईरान अगर इस तरह की आक्रामक कार्रवाई करता है, तो उसे इसका गंभीर अंजाम भुगतना पड़ेगा।” नेतन्याहू ने अपने सुरक्षाबलों को अलर्ट पर रखा है और किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए तैयार रहने का आदेश दिया है।
ईरान का पक्ष
ईरान ने इस हमले को लेकर अपने रुख को स्पष्ट करते हुए कहा है कि यह इजरायल की लगातार की जा रही उकसावे की कार्रवाई का जवाब है। ईरान के नेताओं का कहना है कि वे अपनी सुरक्षा को लेकर कोई भी समझौता नहीं करेंगे और अगर इजरायल उन्हें धमकाने की कोशिश करेगा, तो वह इसका कड़ा जवाब देंगे। ईरान की सरकार का यह भी कहना है कि इजरायल के साथ बढ़ते तनाव का कारण उसकी आक्रामक विदेश नीति और क्षेत्रीय प्रभुत्व की कोशिशें हैं।
क्षेत्रीय प्रभाव
इजरायल और ईरान के बीच बढ़ता यह तनाव केवल इन दो देशों तक सीमित नहीं है। मध्य पूर्व के कई अन्य देशों पर भी इसका गहरा असर पड़ सकता है। इजरायल के आसपास के देशों में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है, और कई देशों ने अपने सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया है। साथ ही, यह तनाव वैश्विक शक्तियों के लिए भी चिंता का विषय बनता जा रहा है, क्योंकि यह सीधे तौर पर क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस बढ़ते तनाव पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर है। अमेरिका और यूरोपीय संघ ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है और किसी भी प्रकार की सैन्य कार्रवाई से बचने की सलाह दी है। संयुक्त राष्ट्र ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताई है और इस तनाव को बातचीत के जरिए सुलझाने का आह्वान किया है। हालांकि, इजरायल और ईरान के बीच के इस विवाद में कूटनीतिक समाधान की उम्मीदें फिलहाल धुंधली नजर आ रही हैं।
आगे की संभावनाएँ
इजरायल और ईरान के बीच जारी यह तनाव आने वाले समय में और गंभीर हो सकता है। दोनों देश एक-दूसरे पर लगातार आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं, और अगर इस बीच कोई और हमला होता है, तो यह सीधा सैन्य टकराव की दिशा में जा सकता है। इजरायल की सेना और सुरक्षा एजेंसियाँ हाई अलर्ट पर हैं, जबकि ईरान भी अपनी तैयारियों में जुटा हुआ है।
मध्य पूर्व में पहले से ही कई संघर्ष और अस्थिरताएँ चल रही हैं, और इजरायल-ईरान का यह विवाद क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए एक और बड़ी चुनौती बन सकता है।