नई दिल्ली,25 सितम्बर।साल 1990 में हरिनी अमरसूर्या ने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई भारत में पूरी की। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें उच्च शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियों की ओर अग्रसर किया। अब, जब वह देश की प्रधानमंत्री बनी हैं, तो उनके बैचमेट्स, पूर्व राष्ट्रपति और कॉलेज के प्रिंसिपल ने उनके इस सफर को लेकर खुशी और गर्व व्यक्त किया है।
कॉलेज के दिनों की यादें
हरिनी अमरसूर्या का कॉलेज जीवन बहुत ही प्रेरणादायक था। उनके बैचमेट्स बताते हैं कि हरिनी हमेशा से ही अध्ययन में उत्कृष्ट थीं। वह न केवल अपनी पढ़ाई में बल्कि सहपाठियों के साथ सामंजस्य और सहयोग में भी आगे रहती थीं। उनके समर्पण और कड़ी मेहनत के कारण उन्हें हमेशा अच्छे अंक मिलते थे, और उन्हें कॉलेज में एक सम्मानित छात्रा के रूप में जाना जाता था।
प्रधानमंत्री बनने पर गर्व
हरिनी के प्रधानमंत्री बनने पर उनके कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल ने कहा, “यह हम सभी के लिए गर्व का क्षण है। हरिनी ने हमेशा अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की है। उनका यह सफर साबित करता है कि अगर संकल्प मजबूत हो, तो कोई भी सपना साकार हो सकता है।”
उनके बैचमेट्स ने भी खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि “हरिनी ने हमें हमेशा प्रेरित किया है। हमें गर्व है कि हम उसके सहपाठी रहे। उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है।”
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव
हरिनी अमरसूर्या का प्रधानमंत्री बनना न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। उनके नेतृत्व में, भारत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने की उम्मीद की जा रही है। उनके बैचमेट्स का मानना है कि उनकी शिक्षा और अनुभव उन्हें वैश्विक स्तर पर एक मजबूत नेता बनाने में मदद करेंगे।
भविष्य की योजनाएँ
प्रधानमंत्री बनने के बाद हरिनी ने कहा कि उनका लक्ष्य न केवल भारत के विकास में योगदान देना है, बल्कि युवाओं को भी प्रेरित करना है कि वे अपने सपनों को साकार करें। उन्होंने यह भी कहा कि वे शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्रों में विशेष ध्यान देंगी।
हरिनी अमरसूर्या की कहानी यह दर्शाती है कि कठिन परिश्रम और समर्पण से सफलता की ऊँचाइयाँ प्राप्त की जा सकती हैं। उनके प्रधानमंत्री बनने से न केवल उनके बैचमेट्स और शिक्षकों को गर्व है, बल्कि यह एक प्रेरणा भी है सभी के लिए, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनकी यात्रा ने यह साबित कर दिया है कि एक ठान लिया जाए, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।