इजरायल-हिजबुल्लाह संघर्ष: 1600 हिजबुल्लाह ठिकानों पर इजरायल के हमले

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इजरायल,24 सितम्बर। मध्य पूर्व में तनाव और हिंसा एक बार फिर चरम पर हैं, जहां इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच जारी संघर्ष ने नई ऊंचाइयों को छू लिया है। हाल ही में इजरायल ने घोषणा की है कि उसने लेबनान में हिजबुल्लाह के 1600 से अधिक ठिकानों को निशाना बनाया है और इन्हें नेस्तनाबूद कर दिया है। इन हमलों में रातभर लेबनान के विभिन्न हिस्सों में बम गिराए गए, जिससे क्षेत्र में विनाशकारी हालात पैदा हो गए हैं।

संघर्ष की पृष्ठभूमि
हिजबुल्लाह, जो लेबनान में स्थित एक शिया मुस्लिम आतंकवादी संगठन है, लंबे समय से इजरायल के खिलाफ अपने सशस्त्र संघर्ष के लिए जाना जाता है। यह संगठन 1980 के दशक में इजरायल के दक्षिणी लेबनान पर कब्जे के खिलाफ बना था और तब से यह इजरायल के खिलाफ विभिन्न प्रकार की सैन्य और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देता रहा है। इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच की दुश्मनी 2006 में हुए युद्ध के बाद से और भी गहरी हो गई है, जो लगभग एक महीने तक चला और दोनों ओर भारी नुकसान हुआ।

हाल के हफ्तों में इस संघर्ष ने फिर से जोर पकड़ा है। इजरायल ने यह दावा किया कि हिजबुल्लाह द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों में हमले तेज किए गए हैं, जिससे उसे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त कार्रवाई करनी पड़ी।

इजरायल का जवाबी हमला
इजरायल ने कहा है कि उसने हिजबुल्लाह के खिलाफ बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए हैं, जिनमें संगठन के 1600 ठिकानों को निशाना बनाया गया है। ये ठिकाने मुख्य रूप से हथियार डिपो, मिसाइल लॉन्चिंग साइट्स, बंकर और हिजबुल्लाह के कमांड पोस्ट थे। इजरायल की सेना ने यह भी दावा किया है कि इन हमलों में हिजबुल्लाह की सैन्य संरचना को भारी नुकसान पहुंचा है और कई उच्च-स्तरीय कमांडर भी मारे गए हैं।

रातभर चले इन हमलों के दौरान इजरायल ने कई सटीक बमबारी अभियान चलाए, जिनमें आधुनिकतम हथियारों और ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किया गया। इजरायल की सैन्य क्षमता और रणनीतिकारों ने इस अभियान को बेहद सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया, जिससे हिजबुल्लाह की गतिविधियों पर कड़ा प्रहार किया गया है।

लेबनान में विनाश और मानवीय संकट
इजरायल के हमलों ने लेबनान के दक्षिणी हिस्सों में भारी विनाश मचाया है। कई आवासीय इमारतें, नागरिक सुविधाएं और बुनियादी ढांचे के बड़े हिस्से बर्बाद हो गए हैं। लेबनान के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले नागरिकों के लिए यह संघर्ष जीवन और मौत का खेल बन चुका है। हजारों लोगों को अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है, और मानवीय संकट गंभीर रूप से बढ़ गया है।

लेबनान पहले ही आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता और बुनियादी सेवाओं की कमी से जूझ रहा था, और अब यह संघर्ष देश के लिए और अधिक मुश्किलें खड़ी कर रहा है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इस पर चिंता जताई है और दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है ताकि नागरिकों की जान को और नुकसान न हो।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच इस बढ़ते तनाव ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है। संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और अन्य प्रमुख देशों ने दोनों पक्षों से बातचीत करने और संघर्ष को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने की अपील की है। हालांकि, अब तक कूटनीतिक प्रयास सफल होते नहीं दिख रहे हैं, क्योंकि दोनों पक्ष अपनी-अपनी सैन्य कार्रवाइयों को न्यायोचित ठहरा रहे हैं।

अमेरिका और इजरायल के करीबी सहयोगी देशों ने इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया है, जबकि कुछ देशों ने इजरायल की सैन्य कार्रवाइयों की आलोचना करते हुए इसे अत्यधिक और अनावश्यक हिंसा करार दिया है।

आगे की चुनौतियाँ
यह संघर्ष केवल इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच का नहीं है, बल्कि पूरे मध्य पूर्व के लिए एक बड़ी चुनौती है। हिजबुल्लाह के इरान से घनिष्ठ संबंध हैं, और इस संघर्ष के चलते क्षेत्रीय शक्ति संतुलन बिगड़ सकता है। अगर यह युद्ध लंबा खिंचता है, तो इससे सीरिया, इरान, और अन्य पड़ोसी देशों में भी अस्थिरता बढ़ सकती है।

इजरायल के लिए भी यह संघर्ष आसान नहीं है। हिजबुल्लाह की गुरिल्ला युद्ध की क्षमता और लेबनान की पहाड़ियों में उसका मजबूत गढ़ इजरायल के लिए लंबे समय तक चिंता का विषय रहा है। हालांकि इजरायल की सैन्य शक्ति और तकनीकी श्रेष्ठता स्पष्ट है, लेकिन हिजबुल्लाह की जवाबी हमले की क्षमता को कम नहीं आंका जा सकता।

निष्कर्ष
इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच चल रहे इस संघर्ष ने मध्य पूर्व को एक बार फिर से हिंसा और अस्थिरता के मुहाने पर ला खड़ा किया है। दोनों पक्षों के बीच बढ़ती सैन्य गतिविधियों ने न केवल स्थानीय आबादी के लिए विनाशकारी हालात पैदा किए हैं, बल्कि पूरे क्षेत्र में संघर्ष के बढ़ने की आशंका को भी जन्म दिया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय कैसे इस संघर्ष को शांत करने के लिए अपनी भूमिका निभाता है, और क्या कोई ऐसा कूटनीतिक समाधान निकलेगा जिससे इस हिंसा पर विराम लग सके।

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