पूर्व इसरो अध्यक्ष डॉ. के. कस्तूरीरंगन का 84 वर्ष की आयु में निधन: भारतीय अंतरिक्ष और शिक्षा जगत को अपूरणीय क्षति

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नई दिल्ली:, 25 अप्रैल 2025 – इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) के पूर्व चीफ डॉ के कस्तूरीरंगन की शुक्रवार सुबह मौत हो गई। वह 84 साल के थे। अधिकारियों ने बताया कि कस्तूरीरंगन ने बेंगलुरु में अपने घर पर अंतिम सांस ली।

27 अप्रैल को उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI) में रखा जाएगा। कस्तूरीरंगन को दो साल पहले दिल का दौरा पड़ा था। उसके बाद से वे बीमार चल रहे थे।

कस्तूरीरंगन 1994 से 2003 तक ISRO चीफ थे। उन्हीं के नेतृत्व में ISRO ने चंद्रयान जैसे बड़े मिशनों की योजना बनानी शुरू की थी। वे न्यू एजुकेशन पॉलिसी (NEP) की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष भी थे।

UPA सरकार में योजना आयोग के सदस्य रहे कस्तूरीरंगन ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के चांसलर और कर्नाटक नॉलेज कमीशन के अध्यक्ष के रूप में काम किया था। वे 2003 से 2009 तक राज्यसभा के सदस्य थे। UPA सरकार के दौरान कस्तूरीरंगन ने योजना आयोग के सदस्य के रूप में भी काम किया।

कस्तूरीरंगन अप्रैल 2004 से 2009 तक बेंगलुरु स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज के डायरेक्टर भी थे। वे केंद्र की कई कमेटियों का नेतृत्व किया या उनमें शामिल रहे। उन्होंने उच्च शिक्षा, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण सहित कई मुद्दों पर सरकार को सलाह दी।

यहाँ उन्होंने नई जेनरेशन के स्पेसक्राफ्ट, इंडियन नेशनल सैटेलाइट (इनसैट-2) और देश के पहले रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट IRS-1A और IRS-1B के डिजाइन, डेवलपमेंट और लॉन्चिंग पर काम किया।

इसके अलावा भारत के पहले दो एक्सपेरिमेंटल अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट भास्कर-1 और भास्कर-2 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर भी रहे।

इसरो चीफ रहते हुए देश के स्पेस प्रोग्राम ने कई अहम पड़ाव पार किए। इस दौरान पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) की लॉन्चिंग और जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) का पहला सफल परीक्षण हुआ।

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