नई दिल्ली,। 24 अप्रैल 2025।,ऐसी सरकार के लिए कोई भी वोट नहीं देगा। वहां कोई सुविधाएं नहीं थीं, कोई सेना कोई पुलिस नहीं थी। आपके पीछे कारों का एक बड़ा काफिला होता है। जब कोई वीआईपी आता है तो ऊपर एक हेलीकॉप्टर भी होता है। यह सब हमारे टैक्स से होता है, है ना? तो फिर हमारे लिए कोई सुविधा क्यों नहीं? आपको जवाब देना होगा, मेरे घर का स्तंभ नहीं रहा, उसे वापस दे दो। मैं अपने बेटे को इंजीनियर और बेटी को डॉक्टर बनाना चाहती थी, अब मैं क्या करूं?…ये हृद्यस्पर्शी शब्द हैं, पहलगाम आतंकवादी हमले में जान गंवाने वाले सूरत के शैलेश कलथिया की पत्नी शीतलबेन के।
मंगलवार, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में तीन गुजरातियों की जान चली गई। इनमें सूरत के शैलेशभाई कलथिया भी शामिल थे। वह अपने परिवार के साथ कश्मीर की यात्रा पर गए थे। उनका अंतिम संस्कार आज गुरुवार को किया गया। इसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। अंतिम संस्कार के दौरान परिवार को सांत्वना देने के लिए केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल भी पहुंचे। शीतलबेन ने आंखों के सामने पति को मरते हुए देखा। उन्होंने केंद्रीय मंत्री के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया। उन्होंने सरकार की वीआईपी व्यवस्था से लेकर आम करदाता के कठिन हालात पर भी अपना गुस्सा जताया।
नेताओं और वीआईपी के लिए हेलीकॉप्टर हमारे लिए कुछ भी नहीं शीतलबेन ने अपना दुख व्यक्त करते हुए पाटिल से कहा कि वहां कोई सुविधा नहीं है, न सेना है, न पुलिस। जब कोई बड़ा नेता या वीआईपी आता है तो उसके पीछे कितनी गाड़ियां होती हैं, हेलीकॉप्टर होता है। जो सेवा वीआईपी लोगों के लिए है, वह आम लोगों के लिए क्यों नहीं है? मैं सेना के शिविर में चिल्ली रही था और कह रहा थी, वहां कितने लोग घायल हैं? आप लोग जल्दी से जाइए और कुछ कीजिए। सेना को इसकी जानकारी क्यों नहीं थी?
आतंकवादी हमारे सामने आते हैं और हमें गोली मार देते हैं। अगर वे हिंदुओं और मुसलमानों में फर्क करते हैं और सभी हिंदू भाइयों को गोली मार देते हैं, तो हमारी सेना क्या करेगी? वहां लाखों सैनिक थे और पर्यटक स्थलों पर सेना के जवान, पुलिसकर्मी या अन्य सशस्त्र बल नहीं थे। कोई सुविधा नहीं थी। उनमें से एक सैनिक बोला- तुम लोग इधर-उधर घूमकर क्या कर रहे हो?”
आपका जीवन एक जीवन है, आम आदमी का जीवन एक जीवन नहीं है? अब आप मुझे जवाब दीजिए, अगर ऐसा था तो आपने हमें जाने क्यों दिया? मेरे परिवार का स्तंभ चला गया। मुझे मेरा सहारा लौटा दो, मुझे और कुछ नहीं चाहिए। अगर हमारी सरकार अपनी सुविधाएं खुद बनाए रखना चाहती हैं, तो आगे से कोई भी इस सरकार को वोट नहीं देगा। आपके पीछे कितने वीआईपी हैं, कितनी कारें हैं? आपका जीवन तो जीवन है, क्या आम आदमी का जीवन, जीवन नहीं है?
अगर आप इतना टैक्स वसूल रहे हैं तो सुविधाएं क्यों नहीं देते? शीतलबेन ने अपने बच्चों की ओर हाथ दिखाते हुए कहा कि इन बच्चों का भविष्य क्या है? मैं अपने बेटे को इंजीनियर और बेटी को डॉक्टर बनाना चाहती हूं। अब ये कैसे होगा? मुझे न्याय चाहिए, मेरे बच्चों का भविष्य बर्बाद नहीं होना चाहिए। आपने मेरे पति ने नौकरी के बदले में सरकार को भारी टैक्स दिया है। यदि हम रास्ते में कुछ खरीदते हैं, या कहीं और जाते हैं तो हमें फिर से टैक्स देना पड़ता है। सभी टैक्स हमसे लिए जाते हैं। इसलिए मेरे परिवार के सदस्यों को जब जरूरत थी, तब उन्हें कोई मदद नहीं मिली। शीतलबेन ने सीआर पाटिल से कहा- आप यहीं (सूरत में) रहते हैं, तो मुझे बताइए कि आप मेरे पति के लिए क्या करेंगे? मेरे बच्चों के लिए क्या करेंगे?
जब पाटिल ने कहा कि सरकार मदद करेगी तो शीतलबेन ने कहा कि सरकार बस यही कह रही है कि हम करेंगे…हम करेंगे…लेकिन इतना सब कुछ किया गया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। यह भी पता नहीं है कि उन सभी को अस्पताल में सुविधाएं मिलीं या नहीं।