- दिल्ली विधानसभा की विरासत संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक पहल
- आईजीएनसीए तीन सप्ताह में प्रस्तुत करेगा अध्ययन रिपोर्ट
- परियोजना की निगरानी हेतु गठित होगी एक उच्च स्तरीय समिति
- विधानसभा की समृद्ध विरासत को लोगों तक पहुंचाने के लिए होगा लाइट एंड साउंड शो तथा डॉक्यूमेंट्री का निर्माण होगा
- दिल्ली विधान सभा भारत की पहली संसद।
नयी दिल्ली । 22 अप्रैल 2025 । दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता की अध्यक्षता में आज एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें विशेषज्ञों और अधिकारियों के साथ विधानसभा भवन के संरक्षण और संवर्धन हेतु एक समग्र विकास योजना तैयार करने की दिशा में चर्चा की गई। यह भवन केवल दिल्ली ही नहीं, बल्कि पूरे देश की लोकतांत्रिक विरासत का प्रतीक है — दिल्ली विधान सभा की पहली संसद थी।
इस पहल के तहत इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) तीन सप्ताह के भीतर एक अध्ययन रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। परियोजना की प्रगति की निगरानी के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें आईजीएनसीए, राष्ट्रीय अभिलेखागार, दिल्ली नगर निगम, दिल्ली विधानसभा सचिवालय तथा विभिन्न विशेषज्ञों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
विरासत को जीवंत रूप में प्रस्तुत करने हेतु विधानसभा परिसर में एक भव्य लाइट एंड साउंड शो आयोजित किया जाएगा, जो इसकी ऐतिहासिकता और लोकतांत्रिक विरासत को प्रदर्शित करेगा। साथ ही, विधानसभा के इतिहास पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री का भी निर्माण किया जाएगा। भविष्य में यहां एक संग्रहालय भी स्थापित किया जाएगा, जिसमें विधानसभा की समृद्ध विरासत को संरक्षित कर प्रदर्शित किया जाएगा।
बैठक में पारंपरिक स्थापत्य तकनीकों के संरक्षण की आवश्यकता पर भी बल दिया गया, जिससे हमारे पूर्वजों की कलात्मकता और शिल्प को सम्मान मिल सके। इस पहल का उद्देश्य विधानसभा परिसर को राष्ट्रीय सांस्कृतिक धरोहर के रूप में विकसित करना है, जो देश-विदेश के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने।
इस बैठक में प्रतिष्ठित विशेषज्ञ डॉ. सच्चिदानंद जोशी (सदस्य सचिव, आईजीएनसीए), डॉ रमेश सी गौर डीन (प्रशासन)इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, डॉ. बी.आर. मणि (महानिदेशक, राष्ट्रीय संग्रहालय), डॉ. अचल पांडा (प्रमुख, संरक्षण एवं कलादर्शन विभाग, आईजीएनसीए), श्री जितेन्द्र यादव (अपर आयुक्त, विरासत प्रकोष्ठ), श्री कृष्ण कुमार सिंह (अधीक्षण अभियंता, केंद्रीय एवं नई दिल्ली रख-रखाव मंडल) तथा श्री संजीव कुमार (कार्यकारी अभियंता, विरासत प्रकोष्ठ, एमसीडी) शामिल थे।
बैठक में विशेषज्ञों द्वारा यह सुझाव दिया गया कि आधुनिक संरक्षण तकनीकों को पारंपरिक मूल्यों के साथ जोड़ते हुए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया जाए, ताकि भवन की मूल संरचना की आत्मा को बरकरार रखते हुए देश–विदेश के लोगों को एक समृद्ध अनुभव प्रदान किया जा सके।
अध्यक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि दिल्ली विधानसभा को एक “जीवंत विरासत स्थल” के रूप में विकसित किया जाएगा, जो भारत में लोकतांत्रिक शासन प्रणाली के विकास और दिल्ली की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बनेगा। उन्होंने सुझाव दिया कि जनता को विधानसभा परिसर के भ्रमण का अवसर प्रदान किया जाए — विशेषकर सप्ताहांत में — ताकि वे अपने लोकतंत्र की ऐतिहासिक नींव से सीधे जुड़ सकें।
यह बैठक इस बहुपर्यायी विरासत विकास योजना की पहली शुरुआत है जिसमें विधान सभा परिसर की बनावट का मूल्यांकन किया जाएगा और इस संबंध में विस्तृत योजना बनाई जाएगी।इसका उद्देश्य विधानसभा की ऐतिहासिक महत्ता को देश और दुनिया में पहचान दिलाना है।