कोलकाता 19 अप्रैल 2025, पश्चिम बंगाल में अगले साल मार्च-अप्रैल में विधानसभा चुनाव होंगे। चुनावी सुगबुगाहट अभी से शुरू हो गई है। रामनवमी और हनुमान जयंती पर इसकी झलक भी दिखी, जब तृणमूल कांग्रेस और भाजपा ने हजारों शोभायात्राओं और रैलियों के जरिए एक दूसरे के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन किया।
भाजपा 2021 में पहली बार बंगाल में विपक्षी पार्टी बनी थी। वह 2026 में TMC को कांटे की टक्कर देने की कवायद में है। हालांकि, भाजपा के लिए यह सब अकेले करना आसान नहीं होगा। ऐसे में हरियाणा और दिल्ली की तरह RSS बंगाल में भी उसकी ढाल बनने की कोशिश कर रहा है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत फरवरी में 10 दिनों के लिए बंगाल दौरे पर थे। सूत्र बताते हैं कि इस दौरान भागवत ने भाजपा की जीत के लिए ब्लूप्रिंट तैयार किया। एक्सपर्ट कहते हैं कि भाजपा ने अगर TMC के वोट बैंक में 4% की सेंध लगा दी, तो यह 2026 के चुनाव में गेम चेंजर साबित हो सकता है।
भाजपा 70% हिंदू आबादी को साधने में जुटी बंगाल में 70% हिंदू और 30% मुस्लिम आबादी है। मुस्लिम वोटरों की एकजुटता के कारण TMC हर चुनाव में मजबूत खड़ी होती है। हालांकि, हिंदुओं का वोट TMC और भाजपा में बंट जाता है।
2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 50% हिंदुओं और 7% मुस्लिमों को वोट मिला था। वहीं, TMC को 39% हिंदुओं और 75% मुस्लिमों ने वोट दिया। ऐसे में भाजपा 2026 चुनाव से पहले हिंदुओं को एकजुट करने की कोशिश कर रही है, ताकि ज्यादा से ज्यादा हिंदू वोट उसे मिलें।
इसके लिए भाजपा, संघ और विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने 6 अप्रैल को रामनवमी से 12 अप्रैल को हनुमान जयंती तक पूरे राज्य में धार्मिक शोभायात्राओं और रैलियां निकालने में पूरी ताकत झोंक दी।
दूसरी तरफ, सत्ताधारी पार्टी इस उहापोह में रही कि खुद को हिंदू विरोधी न दिखने दिया जाए। एंटी-हिंदू इमेज से बचने के लिए TMC को भी रामनवमी पर रैलियां निकालकर यह बताना पड़ा कि वह हिंदू विरोधी नहीं है।
रामराज्य की स्थापना के लिए एकजुट हुए हिंदू: VHP बंगाल में विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने भाजपा और संघ के बैनर तले रामनवमी पर रैलियों को लीड किया। दक्षिण बंगाल में VHP के सेक्रेटरी चंद्रनाथ दास ने बताया, ‘हमने राज्य भर में 3000 से ज्यादा रैलियां निकालीं, जिसमें लगभग 2.5 करोड़ लोग शामिल हुए थे।